
IPL Trading Window Rule: इंडियन प्रीमियर लीग के 19वें सीजन की तैयारी शुरू हो चुकी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 दिसंबर को मिनी ऑक्शन दुबई में हो सकता है। ऐसे में टीमों के लिए ट्रेडिंग विंडो खुल चुकी है। यह खास नियम बनाए गए हैं, जिसमें फ्रेंचाइजियों को ऑक्शन से पहले अपनी टीम को मजबूत बनाने का मौका मिलता है। इस सीजन राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच बड़ी ट्रेड डील होने जा रही है। रिपोर्ट्स की मानें, तो आरआर संजू सैमसन को देकर सीएसके से रवींद्र जडेजा और सैम करन को ट्रेड करना चाह रही है। इससे पहले हम आपको यह समझाते हैं, कि ट्रेडिंग विंडो क्या होता है और कैसे काम करता है...
आईपीएल में ट्रेडिंग विंडो के लिए एक समय निर्धारित की जाती है, जिसमें एक फ्रेंचाइज दूसरी फ्रेंचाइजी के साथ प्लेयरों की अदला-बदली कर सकती हैं। इसमें सभी 10 टीमों को ट्रेड के जरिए मजबूत स्क्वॉड बनाने का मौका मिलता है। आईपीएल सीजन समाप्त होने से एक हफ्ते पहले यह शुरू होती है और ठीक अगले सीजन के ऑक्शन के 7 दिन पहले बंद हो जाती है। कोई भी फ्रेंचाइजी बाकी के 9 टीमों के साथ ट्रेड कर सकती है। हालांकि, यह अहम रूल ये हैं कि ऑक्शन में हाल में परचेज किए गए नए खिलाड़ी को नेक्स्ट सीजन स्टार्ट होने से पहले ट्रेड नहीं किया जा सकता है। उन खिलाड़ियों को अगले सीजन के बाद ही ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध माना जाता है।
आईपीएल में ट्रेडिंग टीमों द्वारा लग-अलग तरीकों से हो सकती है, जो फ्रेंचाइजी की सभी जरूरतों पर निर्भर करता है। सबसे पहले बिना कोई पैसे के भी दोनों टीमें आपस में सहमती बनाकर खिलाड़ियों को स्वैप कर सकते हैं। अगर जिस स्वैप होने वाले प्लेयरों की सैलरी में अंतर है, तो अधिक सैलरी वाले प्लेयरों को लेने वाली फ्रेंचाइजी को चुकानी पड़ सकती है।
उदाहरण के लिए: राजस्थान रॉयल्स के संजू सैमसन और चेन्नई सुपर किंग्स के रवींद्र जडेजा की सैलरी 18-18 करोड़ रुपए है। ऐसे में इन दोनों प्लेयरों के बीच ट्रेड डील कंफर्म होता है, तो दोनों में से किसी टीम को अलग से पैसे नहीं देने होंगे।
यदि कोई एक फ्रेंचाइजी किसी प्लेयर को उसकी मूल खरीद राशि के बराबर पैसे देकर लेना चाहती है, तो ऐसा संभव हो सकता है। मिसाल के तौर पर, अगर कोई प्लेयर 10 करोड़ रुपए की राशि में खरीदा गया था, तो नई फ्रेंचाइजी को वही अमाउंट पुरानी टीम को देकर उसे अपने साथ जोड़ना होगा।
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इसके अलावा आपस में दोनों टीमें एक निश्चित अमाउंट तय कर सकती हैं। उसी के आधार पर ट्रेड पूरा हो जाता है। इस अमाउंट को सार्वजनिक नहीं किया जाता है। इसलिए इसे गोपनीय डील भी कहते हैं।
उदाहरण के लिए: मुंबई इंडियंस ने हार्दिक पांड्या को गुजरात टाइटंस से ट्रेड गोपनीय डील किया था। दोनों टीमों के बीच एक निश्चित अमाउंट तय की गई थी।
खिलाड़ी की सहमति जरूरी: कोई भी टीम दूसरी टीम के साथ बिना खिलाड़ी को पूछे या सहमति के ट्रेड नहीं कर सकती है। इस मामले में ट्रेड होने वाले खिलाड़ी को सबसे ऊपर रखा जाता है।
टीम को तैयार होना जरूरी: इसके अलावा जिस टीम से खिलाड़ी जा रहा है, सबसे पहले उस फ्रेंचाइजी को तैयार होना जरूरी है।
सैलरी के अंतर को करना होगा एडजस्ट: यदि दो टीमों से दो अलग-अलग खिलाड़ी स्वैप हो रहे हैं और उनकी सैलरी अलग-अलग है, तो अधिक कमाई वाले प्लेयर को लेने वाली टीम को अंतर के राशि देनी होती जरूरी है। यह राशि उनके पर्स से कम की जाती है।
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