अंडर-19 वर्ल्डकप के सितारे...कुछ आसमान में चमके, कुछ भीड़ में गुम हो गए

अंडर-19 विश्वकप ने भारत को कई ऐसे खिलाड़ी दिए जिन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में देश को शीर्ष पर पहुंचाया। वहीं कुछ ऐसे खिलाड़ी भी रहे हैं जिन्होंने अंडर-19 में अच्छा प्रदर्शन कर टीम को विश्वकप जिताया लेकिन खुद आगे नहीं बढ़ पाए। 

स्पोर्ट्स डेस्क। भारतीय क्रिकेट टीम आज देश की नंबर वन टीम में गिनी जाती है। विश्वकप हो या अन्य सीरीज सभी में विपक्षी टीम को भारत के सामने टिकने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। भारतीय टीम बल्लेबाज, गेंदबाज के साथ ही ऑलराउंडर्स की भरमार है। भारतीय टीम में ज्यादातर नए खिलाड़ियों का चयन उनके अंडर-19 विश्वकप के परफॉरमेंस के बेस पर होता है। 

टीम इंडिया में विराट कोहली, रोहित शर्मा, युवराज सिंह समेत की दिग्गज खिलाड़ी अंडर-19 विश्वकप से ही यहां तक पहुंचे हैं। वहीं कुछ ऐसे भी चेहरे रहे हैं जिन्होंने अपने दम पर टीम को अंडर-19 विश्वकप जिताया लेकिन खुद आगे नहीं जा सके। आइए जानते हैं अंडर-19 विश्वकप के वे सितारे जो टीम इंडिया में चमके और वे जो भीड़ में खो गए।

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अंडर-19 वर्ल्ड कप चमके ये सितारे

विराट कोहली
विराट कोहली टीम इंडिया की रीढ़ कहे जाते हैं। 2008 में मलेशिया में भारत ने दूसरा अंडर-19 विश्वकप का खिताब जीता था। टीम ने साउथ अफ्रीका को हराकर खिताब अपने नाम किया था। विराट का प्रदर्शन शानदार रहा था। वह भारत के दूसरे सबसे अधिक रन  बनाने वाले बल्लेबाज थे। उन्होंने 47.00 के औसत से सीरीज में 235 रन बनाए थे। वह एक मात्र खिलाड़ी थे जिन्होंने शतक बनाया था।  

युवराज सिंह
इंग्लैंड के खिलाफ छह गेंदों पर छह छक्कों का रिकॉर्ड बनाने वाले बल्लेबाज युवराज सिंह की तूफानी बल्लेबाजी ने 2011 के विश्वकप में भी तहलका मचाया था। वर्ष 2000 में अंडर-19 विश्वकप में कोलंबों में फाइलन में मोहम्मद कैफ की अगुवाई में टीम ने जीत हासिल की थी। युवराज ने 103.57 के स्ट्राइक रेट  से 203 रन बनाए थे और मैन ऑफ द सीरीज रहे थे। 

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वीरेंद्र सहवाग औऱ हरभजन सिंह
तूफानी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग 1998 में अंडर -19 टीम का हिस्सा थे। हालांकि इसमें उन्होंने ऑफ स्पिन गेंदबाजी से जलवा दिखाया था और 3.36 इकोनोमी रेट से  7 विकेट लिए थे। भारत फाइनल में नहीं पहुंच सका था लेकिन सहवाग ने अपनी छाप छोड़ी थी। टीम का हिस्सा रहे हरभजन सिंह को भी इसी विश्वकप से टीम इंडिया में जगह मिली थी। वहीं 2004 के विश्वकप में बेहतरीन बल्लेबाजी पर सुरेश रैना और शिखर धवन भी चमके थे। 

रोहित शर्मा, रविंद्र जडेजा और चेतेश्वर पुजारा
रोहित शर्मा ने 2006 में 41 के औसत से शानदार पारियों में 205 रन बनाए थे। भारत फाइनल में नहीं पहुंच सके था लेकिन रोहित टीम इंडिया में शामिल हो गए थे। इसी विश्वकप में ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा ने भी चार मैचों में चार विकेट लेने के साथ बल्ले से भी योगदान दिया था औऱ छा गए थे। आज टीम इंडिया की मजबूत कड़ी हैं। इसी विश्वकप में चेतेश्वर पुजारा थे जिन्होंने 88.11 के स्टाइक रेट से 349 रन बनाए थे। बाद में इंडियन टेस्ट टीम के ओपनर भी रहे।

वे सितारे जो गुम हो गए

उन्मुक्त चंद
2012 में अंडर-19 विश्वकप जिताने वाले उन्मुक्त चंद आस्ट्रेलिया के खिलाफ 111 रन की पारी खेल भारत को खिताब दिलाया था लेकिन डोमेस्टिक क्रिकेट में उनका परफॉरमेंस बिगड़ता गया और स्टारडम में खो गए। 

अशोक मेनारिया
बाएं हाथ के बल्लेबाज अशोक मेनारिया 2010 अंडर 19 में टीम के कप्तान रहे और टूर्नामेंट में कुछ खास नहीं कर सके। पांच पारियों में सिर्फ 31 रन ही बना सके। केएल राहुल भी इसी टीम का हिस्सा थे।

विजय जोल
विजय ने कूच बिहार ट्रॉफी अंडर 19 में 451 रन की शानदार पारी खेल सुर्खियां बटोरी थीं। फिर यूएई में 2014 अंडर 19 विश्वकप में भारत की कप्तानी की लेकिन खिताब नहीं दिला सके थे। कई मैच इंडिया ए टीम के लिए खेला और आईपीएल में आरबीसी की टीम में रहे लेकिन कुछ खास नहीं कर सके।

संदीप शर्मा और सिद्धार्थ कौल
2012 अंडर 19 विश्वकप में अपनी शानदार गेंदबाजी से 6  विकेट लेने वाले संदीप शर्मा भी टीम इंडिया में नहीं टिक सके। आईपीएल में पंजाब की टीम में रहे औऱ 2015 में जिम्बॉब्वे के साथ टी 20 भी खेला लेकिन कुछ खास नहीं कर सके औऱ बाहर हो गए। 2008 के अंडर 19 विजेता टीम में सिद्धार्थ कौल भी थे और पांच मैचों  में 10 विकेट लिए थे लेकिन उसके बाद परफॉर्म नहीं कर सके। 

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