पढ़ें दिव्यांगता को मात देकर सफलता के शिखर पर कैसे पहुंचे IAS सुहास?

पेरिस पैरालंपिक में स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास यतिराज को रजत पदक से संतोष करना पड़ा, फाइनल में फ्रांस के लुकास माजुर ने हराया। टोक्यो के बाद एक बार फिर स्वर्ण जीतने का सपना अधूरा।

पेरिस: इस बार स्वर्ण पदक जीतने के प्रबल दावेदार माने जा रहे स्टार शटलर सुहास यतिराज को रजत पदक से संतोष करना पड़ा. सोमवार को पुरुषों के एसएल4 वर्ग के फाइनल में कर्नाटक के 41 वर्षीय सुहास फ्रांस के लुकास माजुर से 9-21, 13-21 से हार गए. सेमीफाइनल में भारत के ही सुकांत कदम के खिलाफ जीत दर्ज करने वाले सुहास अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर सके.

उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भी रजत पदक जीता था. टोक्यो में भी लुकास के खिलाफ ही फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था. इस बार बदला लेने और स्वर्ण जीतने का सुहास का सपना पूरा नहीं हो सका.

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दिव्यांगता को मात देकर सफलता के शिखर पर पहुंचे सुहास

चाह हो तो कुछ भी कर सकते हैं, यह साबित कर दिखाया है सुहास ने. 1983 में हासन में जन्मे सुहास शिवमोग्गा में पले-बढ़े. जन्म से ही उनके पैर में दिक्कत थी. दाहिने पैर का पंजा सूजा हुआ था. हासन, शिवमोग्गा और मैंगलोर से पढ़ाई पूरी करने वाले सुहास 2007 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. फिलहाल वह उत्तर प्रदेश में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. 2016 में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले सुहास ने इसके बाद पैरालंपिक में 2, विश्व चैंपियनशिप में एक और पैरा एशियाड में दो पदक जीते हैं. अब सुहास यतिराज पैरालंपिक बैडमिंटन में दो पदक जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बन गए हैं.

कांस्य पदक के मुकाबले में हारे नित्या-शिवराजन

बैडमिंटन के मिश्रित युगल एसएच6 वर्ग के कांस्य पदक के मुकाबले में भारत के नित्या-शिवराजन सोमवार को इंडोनेशिया के सुभान-रीना की जोड़ी से 17-21, 12-21 से हार गए. 

 

वहीं, महिलाओं के एसएच6 वर्ग के सेमीफाइनल में भारत की नित्या चीन की शुआंगबो से 13-21, 19-21 के सीधे गेमों में हार गईं. वह मंगलवार को कांस्य पदक के मुकाबले में इंडोनेशिया की मारलिना रीना के खिलाफ खेलेंगी.

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