बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बाहुबलियों का दबदबा कायम रहा। कुल 20 में से 11 बाहुबली या उनके परिजन जीते। NDA ने ऐसे उम्मीदवारों को टिकट देकर बड़ी जीत हासिल की। अब बाहुबलियों की जगह उनके परिवार के सदस्य विरासत संभाल रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के अंतिम परिणामों ने एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में बाहुबलियों की गहरी पैठ को प्रमाणित किया है। इस चुनाव में कुल 20 बाहुबली प्रत्याशियों या उनके परिवार के सदस्यों ने किस्मत आजमाई थी, जिनमें से 11 ने जीत दर्ज कर विधानसभा में प्रवेश सुनिश्चित किया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने इस 'बाहुबली ब्रिगेड' को सबसे अधिक समर्थन दिया, और उनकी आंधी में कई स्थापित नेता भी हार गए।
NDA के टिकट पर बाहुबलियों की धमाकेदार जीत
NDA के टिकट पर चुनाव लड़े बाहुबलियों और उनके परिजनों ने शानदार प्रदर्शन किया। मोकामा, कुचायकोट और नवीनगर जैसी हॉट सीटों पर NDA को जीत मिली।
मोकामा सीट से अनंत सिंह (जदयू) ने जेल में रहते हुए तीसरी बार चुनाव जीता। उनके ऊपर वर्तमान में 30 आपराधिक मामले दर्ज हैं।
कुचायकोट से अमरेंद्र पांडेय (जदयू) विजेता रहे, जिन पर वर्तमान समय में 14 केस लंबित हैं।
एकमा से मनोरंजन सिंह ‘धूमल’ (जदयू) चुनाव जीते, उनके नाम वर्तमान में कोई केस नहीं है, जबकि पूर्व में 150 से अधिक आपराधिक मामले थे।
बेलागंज से मनोरा देवी (जदयू) ने जीत दर्ज की और उनके खिलाफ 3 मामले चल रहे हैं।
नवादा से विभा देवी (जदयू), जिनकी पहचान राजबल्लभ यादव की पत्नी के रूप में है, विजेता बनीं और उनके ऊपर 3 केस हैं।
मांझी से रणधीर सिंह (जदयू), प्रभुनाथ सिंह के बेटे, विजेता रहे और उन पर 5 केस चल रहे हैं।
नबीनगर से चेतन आनंद (जदयू), आनंद मोहन के बेटे, ने जीत दर्ज की और उनके ऊपर 2 केस हैं।
तरारी से विशाल प्रशांत (भाजपा), सुनील पांडेय के बेटे, विजेता हैं और उनके खिलाफ 3 केस दर्ज हैं।
शाहपुर से राकेश रंजन ओझा (भाजपा), विशेश्वर ओझा के बेटे, ने चुनाव जीता और उनके ऊपर 3 केस हैं।
महागठबंधन से बाहुबलियों का सीमित प्रदर्शन
महागठबंधन ने भी कुछ बाहुबली परिवारों को टिकट दिया, लेकिन NDA की आंधी में उनका प्रदर्शन सीमित रहा। रघुनाथपुर से पूर्व सांसद और दिवंगत बाहुबली शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब ने जीत हासिल की है। उन पर वर्तमान में एक केस चल रहा है।
मटिहानी से राजद के बोगो सिंह ने जीत हासिल की है, वर्तमान में उन पर सात केस दर्ज हैं।
वारिसलीगंज से अशोक महतो की पत्नी अनिता देवी ने राजद के टिकट पर जीत हासिल की और उनके खिलाफ 1 मामला दर्ज है।
बाहुबलियों को मिली हार
दानापुर से रीतलाल यादव (राजद) हारे, उनके खिलाफ 16 केस हैं। वे भाजपा के रामकृपाल यादव से चुनाव हार गए।
बाढ़ से लल्लू मुखिया (राजद) हारे, जिनके खिलाफ 15 केस दर्ज हैं। वे डॉ. सियाराम सिंह से चुनाव हार गए।
लालगंज से शिवानी शुक्ला (राजद), जो मुन्ना शुक्ला की बेटी हैं, चुनाव हार गईं। उनके खिलाफ कोई केस नहीं है। वे भाजपा की उम्मीदवार से हारीं।
ब्रह्मपुर से हुलास पांडेय (एलजेपी-रालोसपा) चुनाव हार गए, उनके खिलाफ 1 केस दर्ज है। वे राजद के उम्मीदवार से हार गए।
बेलागंज से विश्वनाथ यादव (राजद) भी चुनाव हार गए, उनके खिलाफ 1 मामला है। वे जदयू की मनोरमा देवी से चुनाव हार गए।
मोकामा का सबसे नाटकीय परिणाम: जेल से जीते 'छोटे सरकार'
मोकामा सीट पर अनंत सिंह (JDU) ने अपने प्रतिद्वंद्वी बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी (RJD) को 28,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया। यह लगातार तीसरी बार है जब अनंत सिंह ने जेल में बंद रहते हुए चुनाव जीता है। उनकी जीत ने यह साबित कर दिया है कि मोकामा में जनता के बीच उनका भावनात्मक जुड़ाव अब भी अटूट है।
इस चुनाव ने स्पष्ट किया है कि बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का प्रभाव कम नहीं हुआ है, लेकिन अब सीधे बाहुबलियों के बजाय उनके पढ़े-लिखे बेटे (ओसामा शहाब, चेतन आनंद, विशाल प्रशांत) और पत्नियाँ चुनावी विरासत संभाल रही हैं। NDA ने इन प्रत्याशियों को टिकट देने में पहल की और परिणामतः उन्हें एक बड़ी जीत हासिल हुई है।
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