Bihar Election 2025: आ गई एक और रिपोर्ट! दलितों की पहली पसंद बने ये नेता, नाम जानकर चौंक जाएंगे आप

Published : Jul 21, 2025, 05:19 PM ISTUpdated : Jul 21, 2025, 05:21 PM IST
Bihar Dalit survey 2025

सार

Bihar Dalit Vote Survey: बिहार में दलित समुदाय पर एक सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण में नरेंद्र मोदी को दलित मतदाताओं के बीच लोकप्रिय पाया गया। जबकि सीएम पद के लिए तेजस्वी यादव को नीतीश कुमार से ज़्यादा पसंद किया गया। 

Bihar Politics: दलित एवं आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ (NACDOAR) और द कन्वर्जेंट मीडिया (TCM) ने बिहार के दलित समुदाय पर एक सर्वेक्षण किया है। यह सर्वेक्षण 10 जून से 4 जुलाई 2025 तक चला था। इसमें 49 विधानसभा सीटों को शामिल किया गया। सर्वेक्षण में पाया गया कि दलित मतदाताओं के बीच नरेंद्र मोदी सबसे लोकप्रिय हैं। रामविलास पासवान सबसे बड़े दलित नेता माने जाते हैं। तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार से ज़्यादा पसंदीदा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं।

सर्वेक्षण की 5 सबसे अहम बातें

रामविलास पासवान आज भी बिहार में दलितों के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। सर्वेक्षण में 52.35% दलितों ने दिवंगत रामविलास पासवान को बिहार का सबसे बड़ा दलित नेता माना। दुसाध समुदाय में यह आंकड़ा 65.37% और छोटी दलित जातियों में 68.36% तक पहुंच गया।

मोदी दलितों के बीच सबसे लोकप्रिय नेता हैं, लेकिन...

47.51% दलितों ने नरेंद्र मोदी का समर्थन किया, जिससे वे राष्ट्रीय स्तर पर दलितों के बीच शीर्ष नेता बन गए। वहीं, राहुल गांधी को 40.30% समर्थन के साथ कड़ी टक्कर मिली। मोदी की लोकप्रियता केंद्र की नीतियों से जुड़ी है, लेकिन उनकी स्वीकार्यता दलित नेतृत्व के संदर्भ में नहीं, बल्कि एक 'राष्ट्रीय नेता' के रूप में है।

तेजस्वी यादव नीतीश से आगे

28.83% दलितों ने कहा कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के लिए उनकी पसंद हैं, जबकि नीतीश को 22.80% समर्थन मिला। चिराग पासवान को केवल 25.88% समर्थन मिला। महादलित योजना से शुरू हुई नीतीश की पकड़ अब कमजोर होती जा रही है, खासकर रविदास-चर्मकार समुदाय में।

महागठबंधन आगे, एनडीए फिसला

महागठबंधन को 46.13% समर्थन मिला, जबकि एनडीए को केवल 31.93%। सीमांचल में एनडीए मज़बूत है, लेकिन कोसी और भोजपुर में महागठबंधन ने पकड़ बनाई। 2020 की तुलना में, महागठबंधन का वोट शेयर 0.19% बढ़ा, जबकि एनडीए का 4.6% गिरा। बेरोजगारी, शिक्षा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों ने दलितों को महागठबंधन की ओर मोड़ दिया है।

आरक्षण, मतदाता सूची और जाति जनगणना पर डर और समर्थन

82.89% दलित आरक्षण की सीमा बढ़ाने के पक्ष में हैं। 71.56% को डर है कि उनका नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है। 33.15% ने जाति जनगणना का श्रेय मोदी को दिया, जबकि 48.43% नीतीश सरकार से असंतुष्ट हैं। दलित समुदाय अभी भी अधिकारों और पहचान को लेकर चिंतित है। जाति जनगणना, आरक्षण और नाम कटने का डर, ये संकेत हैं कि 'सिर्फ़ चुनावी वादे' अब उन्हें संतुष्ट नहीं कर रहे।

दलित समुदाय में नेताओं के समर्थन का प्रतिशत

रामविलास पासवान (दिवंगत) 52.35%

नरेंद्र मोदी 47.51%

राहुल गांधी 40.30%

तेजस्वी यादव 28.83%

चिराग पासवान 25.88%

नीतीश कुमार 22.80%

बाबू जगजीवन राम (रविदास समुदाय में) 47.87%

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बिहार की दलित राजनीति का नया चेहरा या पुराना साया?

बिहार की राजनीति में दलित वोट बैंक हमेशा से निर्णायक रहा है, लेकिन इस सर्वेक्षण से साफ है कि 'नेतृत्व की विरासत' अभी भी जिंदा है। रामविलास पासवान की छवि अभी भी दूसरे नेताओं से बड़ी है। भाजपा को मोदी का समर्थन हासिल है, लेकिन चिराग पासवान को दलित नेतृत्व के लिए व्यापक समर्थन नहीं मिल रहा है।

रामविलास जैसे नेताओं की जगह भरना आसान नहीं

दूसरी ओर, महागठबंधन (खासकर RJD) के लिए तेजस्वी की छवि उभर रही है, लेकिन इसका स्थायी लाभ तभी होगा जब वे नीति और जमीनी काम पर ध्यान केंद्रित करेंगे। यह राजनीतिक दलों के लिए एक सबक है कि दलित समाज अब सिर्फ़ वोट नहीं, बल्कि प्रतिनिधित्व और अधिकार चाहता है। दलित मतदाता अब भावनात्मक मुद्दों के बजाय तथ्य-आधारित मुद्दों पर फ़ैसले ले रहे हैं। रामविलास जैसे नेताओं की जगह भरना आसान नहीं है, सिर्फ़ जातीय समीकरणों से जीत अब संभव नहीं है।

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