दरअसल, किसान ने माहौल बनाने के चक्कर में मुख्यमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे मैनेजमेंट ग्रेजुएट हैं। पुणे में एक बढ़िया करियर चल रहा था, लेकिन सब कुछ छोड़कर अपने पैतृक जिले में मशरूम की खेती करने का साहस जुटा सके।
पटना(Patna). एक कहावत तो सुनी ही होगी कि 'हिंदी में समझाऊं क्या?' बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुछ इसी तरह की हिंदी में अंग्रेजी झाड़ रहे एक किसान को अच्छे से समझा दिया। अपनी रोमांचक जीवन यात्रा को बयां करने के लिए बहुत अधिक ‘अंग्रेजी शब्दों’ का इस्तेमाल करने पर मंगलवार(21 फरवरी) को एक किसान को उन्होंने जमकर फटकार लगाई।
pic.twitter.com/7hKHm71jXp
जो किसान अधिक इंग्लिश 'झाड़' रहा था, उसकी पहचान लखीसराय के अमित कुमार के रूप में हुई। यहां के बापू सभागार ऑडीटोरियम में राज्य सरकार के चौथे कृषि रोडमैप के उद्घाटन के अवसर पर एक समारोह आयोजित किया गया था। इसी में अमित कुमार अपनी जर्नी के बारे में बताते हुए जब भारी-भरकम अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल किया, तब नीतीश कुमार से चुप नहीं रहा गया। उन्होंने किसान को बीच में टोक कर फटकार लगा दी।
दरअसल, किसान ने माहौल बनाने के चक्कर में मुख्यमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे मैनेजमेंट ग्रेजुएट हैं। पुणे में एक बढ़िया करियर चल रहा था, लेकिन सब कुछ छोड़कर अपने पैतृक जिले में मशरूम की खेती करने का साहस जुटा सके।
एग्रो एंटरप्रेन्योर अमित कुमार बमुश्किल कुछ ही मिनट ही बोल पाए थे कि 70 वर्षीय नीतीश कुमार ने उन्हें रोक दिया। नीतीश कुमार ने सीट पर बैठे-बैठे ही हैंडहोल्ड माइक्रोफोन का इस्तेमाल करते हुए किसान को रोका।
नीतीश कुमार ने कहा-मैं आपको इतने सारे अंग्रेजी शब्दों का उपयोग करने की असंगतता की ओर ध्यान दिलाना चाहता हूं। क्या यह इंग्लैंड है? आप बिहार में काम कर रहे हैं, खेती कर रहे हैं, जो आम लोगों का पेशा है।” इस दौरान भीड़ ने तालियां बजाना शुरू कर दीं।
बता दें कि नीतीश कुमार महान समाजवादी राम मनोहर लोहिया के कट्टर अनुयायी हैं। लोहिया ने सामाजिक असमानता को दूर करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कई टूल्स में से एक के रूप में स्थानीय भाषाओं का समर्थन किया था। सीएम ने कहा कि 'कोविड-प्रेरित लॉकडाउन के दौरान स्मार्टफोन की लत ने कई लोगों को अपनी भाषा भूलने के लिए प्रेरित किया।'
नीतीश ने कहा कि दुनिया में एक ही भाषा अंग्रेजी नहीं है, जो हमारे देश पर राज किया, उसकी भाषा क्यों बोलते हैं? अपनी भाषा है हिंदी। अपने लोग हैं। इसी भाषा में बोलिए।
सीएम ने कहा- वह भी अंग्रेजी मीडियम में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं, लेकिन देश में जहां भी जाते हैं। वहां की स्थानीय भाषा को सीखने की कोशिश करते हैं। बिहार में जहां भी जाते हैं, लोगों की भाषा हिंदी है। उसी में संवाद करते हैं।
जब किसान ने 'मुफ्त बिजली' की जगह 'बिजली फ्री' देने की बात कही तो 'फ्री' शब्द पर मुख्यमंत्री भड़क गए। उन्होंने कहा कि 'मुफ्त' बोलिए। हड़बड़ाए किसान ने फिर बोलना शुरू किया, लेकिन कुछ सेकंड बाद ही सरकारी योजनाओं को गवर्नमेंट स्कीम कहा, तब भी नीतीश कुमार गुस्सा हो गए।
उन्होंने कहा-यह क्या हो रहा है कि भाषण में हिंदी-अंग्रेजी मिक्स किया जा रहा है। अंग्रेजी बोलनी है तो अंग्रेजी बोलें, हिंदी बोलनी है तो हिंदी बोलें। दोनों को मिक्स ना करें, जो चीजें मौलिक है, उसे मौलिक रखें। इसके बाद किसान ने सॉरी कहा।
बता दें कि MBA पासआउट अमित कुमार पिछले 17 सालों से पुणे में थे। 4 साल जॉब करते हुए कोरोनाकाल में वे बिहार वर्क फ्रॉम होम में आए थे। उनका दावा है कि बिहार सरकारी की कृषि पॉलिसी ने उन्हें प्रभावित किया। उन्होंने मशरूम उत्पादन को लेकर ट्रेनिंग ली। अब मशरूम पैदा कर रहे हैं।
बता दें कि बिहार की पॉलिटिक्स में इस समय कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बीजेपी ने लंबे समय तक कुमार के साथ सत्ता शेयर की है, लेकिन अब आमने-सामने हैं। राज्य भाजपा नेता और OBC मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने ताना मारा कि 'क्या सीएम नीतीश कुमार खुद अंग्रेजी भाषा से नाराज हैं या सबाल्टर्न द्वारा इसके उपयोग से? एक सार्वजनिक संबोधन में अंग्रेजी शब्दों के इस्तेमाल पर उनकी आपत्ति बिल्कुल हास्यास्पद है।” (सबाल्टर्न वह व्यक्ति होता है, जिसकी सामाजिक, राजनीतिक या अन्य पदानुक्रम में निम्न रैंकिंग होती है। इसका अर्थ किसी ऐसे व्यक्ति से भी हो सकता है जिसे हाशिए पर या उत्पीड़ित किया गया हो)
यह भी पढ़ें