बिहार चुनाव 2025 में 40-50 सीटों पर कांटे की टक्कर है, जहाँ जीत का अंतर 3-5 हजार वोटों का हो सकता है। राघोपुर, तारापुर, मोकामा जैसी प्रमुख सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी है, जो अंतिम नतीजों पर बड़ा असर डाल सकता है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अपने चरम पर है और अब सबकी नजर उन सीटों पर है जहां नतीजा किसी भी पल पलट सकता है। Exit polls और ग्राउंड रिपोर्ट्स बता रहे हैं कि करीब 40-50 विधानसभा सीटों पर मुकाबला इतना कांटे का है कि 3,000 से 5,000 वोटों का अंतर ही किसी उम्मीदवार की किस्मत तय करेगा। आइए जानते हैं उन प्रमुख सीटों के बारे में, जहां ‘पलक झपकते’ सियासत बदल सकती है।
1. राघोपुर (वैशाली): लालू की विरासत बनाम भाजपा की चुनौती
तेजस्वी यादव बनाम सतीश कुमार यादव, बिहार की सबसे हाई-प्रोफाइल लड़ाई। तेजस्वी लगातार दो बार इस सीट से जीते हैं, लेकिन 2010 में सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को हराया था। इस बार 68.54% मतदान हुआ, जिसमें महिलाओं की भागीदारी रिकॉर्ड स्तर पर रही। यादव-मुस्लिम वोटबैंक के बावजूद भाजपा का प्रदर्शन यहां मजबूत रहा है।
संभावित नतीजा: तेजस्वी आगे, लेकिन मार्जिन 10-15 हजार वोटों का हो सकता है।
2. तारापुर (मुंगेर): सम्राट चौधरी की साख बनाम राजद की जमीनी पकड़
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी 15 साल बाद मैदान में हैं। यह सीट कुशवाहा, यादव, सवर्ण और मुस्लिम वोटों का मिश्रण है, जो हर बार गणित उलट देता है। Exit polls में सम्राट को बढ़त दिखाई गई है, लेकिन अंतर बेहद कम है।
संभावित नतीजा: 5,000-10,000 वोटों का फर्क, सीट किसी भी तरफ जा सकती है।
3. मोकामा (पटना): ‘बाहुबली बनाम बाहुबली’ की सबसे हॉट सीट
यह सीट हर चुनाव में सुर्खियों में रहती है। अनंत सिंह (जदयू) जेल में हैं, लेकिन उनका जनाधार कायम है। वीणा देवी (राजद) पूर्व सांसद हैं और अपने पति के नेटवर्क पर टिके हैं। 2020 में अनंत सिंह ने मात्र 4,718 वोटों से जीत दर्ज की थी।
संभावित नतीजा: 3,000–5,000 वोटों का अंतर, मुकाबला सिर-से-सिर का।
4. महुआ (समस्तीपुर): तेज प्रताप की ‘लौटने’ की जिद बनाम राजद का दबदबा
तेज प्रताप यादव अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) से मैदान में हैं। 2020 में यहां मुकेश रोशन (राजद) जीते थे, जबकि 2015 में तेज प्रताप ने यही सीट जीती थी। यह मुकाबला राजद बनाम यादव परिवार की नई राजनीति का प्रतीक बन गया है।
संभावित नतीजा: अत्यंत करीबी मुकाबला, तेज प्रताप की पार्टी वोट काट सकती है।
5. दानापुर (पटना): ‘यादव बनाम यादव’ की हाई-प्रोफाइल जंग
रामकृपाल यादव (भाजपा) बनाम रीतलाल यादव (राजद), रीतलाल इस वक्त जेल में हैं, लेकिन 2020 में 15,924 वोटों से जीते थे। भाजपा इसे “क्लीन इमेज बनाम क्रिमिनल टैग” की लड़ाई बता रही है।
संभावित नतीजा: 10-15 हजार वोटों का अंतर, हवा का रुख अंतिम घंटों में तय होगा।
6. गया टाउन (गया): प्रेम कुमार की चुनौती
प्रेम कुमार (भाजपा) लगातार 8 बार विधायक रहे हैं, लेकिन इस बार Axis My India ने इसे ‘क्लोज कॉन्टेस्ट’ बताया है। कांग्रेस और जन सुराज यहां बीजेपी के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में हैं।
संभावित नतीजा: हल्का फायदा प्रेम कुमार को, लेकिन स्थिति रोमांचक।
7. अलीनगर (दरभंगा): गायिका मैथिली ठाकुर की पहली परीक्षा
25 वर्षीय मैथिली ठाकुर पहली बार चुनाव मैदान में हैं और भाजपा ने उन पर बड़ा दांव खेला है। यह सीट ब्राह्मण बहुल है (80-90%), लेकिन राजद के यादव-मुस्लिम वोटर निर्णायक साबित हो सकते हैं।
संभावित नतीजा: करीबी मुकाबला, Polstrat सर्वे मैथिली को बढ़त दे रहा है।
8. छपरा (सारण): खेसारी लाल यादव की सियासी डेब्यू सीट
भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव (राजद) पहली बार राजनीति में उतर रहे हैं। राजद का पारंपरिक गढ़ होने के बावजूद, खेसारी के लिए यह ‘पॉपुलैरिटी बनाम राजनीति’ की परीक्षा है।
संभावित नतीजा: मुकाबला करीब, लेकिन वोट ट्रांसफर चुनौती हो सकता है।
9. बेतिया (पश्चिम चंपारण): रेणु देवी की प्रतिष्ठा की सीट
रेणु देवी (भाजपा) लगातार दो बार जीती हैं, लेकिन कांग्रेस ने इस बार मजबूत दावेदार उतारा है। 2020 में उन्होंने 18,079 वोटों से जीत दर्ज की थी।
संभावित नतीजा: बीजेपी को हल्की बढ़त, लेकिन माहौल फ्लिप हो सकता है।
10. भोजपुर और चंपारण: बिहार का बैलेंस ज़ोन
Axis My India के अनुसार, भोजपुर में NDA को 42% और महागठबंधन को 40% वोट शेयर।
चंपारण में NDA 44% और महागठबंधन 41% पर। सिर्फ 2-3% का अंतर, यानी नतीजे आखिरी राउंड तक लटक सकते हैं।
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