
Sitamarhi News: राज्य में भूमि विवाद की समस्या हमेशा से रही है। अब तक सरकार द्वारा इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन यह एक ऐसी समस्या है जो खत्म होने के बजाय और बढ़ती ही जा रही है। राज्य की एक बड़ी आबादी भूमि विवादों में उलझी हुई है। अब तक राजस्व विभाग के सभी नियम-कानून भूमि विवादों के समाधान के लिए नाकाफी साबित हुए हैं। इस बीच, मुख्य सचिव ने सभी जिलों के डीएम और एसपी को अपने स्तर पर भूमि विवादों के समाधान के लिए कुछ सुझाव दिए हैं।
भूमि विवादों के समाधान के लिए, सीओ और एसएचओ हर शनिवार को हर थाने में मामलों की सुनवाई करते हैं और उसके आलोक में निर्णय/कार्रवाई करते हैं। यह राज्य सरकार का ही आदेश है। हलांकि, विवादों के समाधान के नाम पर सुनवाई में क्या होता रहा है, यह सभी भली-भांति जानते हैं। जानकारों का कहना है कि शनिवार को थानों में बैठक करने से विवादों का अपेक्षित समाधान संभव नहीं है। यानी सरकार की यह पहल कारगर साबित नहीं हुई। यही वजह है कि थानों में मामलों का निपटारा न होने से भूमि विवाद के मामले न्यायालय में बढ़ते जा रहे हैं।
बताया गया है कि 22 जुलाई को मुख्य सचिव ने भूमि विवाद से जुड़े मामलों की नियमित और प्रभावी निगरानी की समीक्षा की थी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा के बाद आवश्यक सुझाव दिए गए। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सभी डीएम और एसपी जुड़े थे। मुख्य सचिव के निर्देश के आलोक में एसपी अमित रंजन ने पत्र जारी कर आम जनता को सूचित किया है कि भूमि संबंधी विवादों के प्रभावी समाधान के लिए अब प्रत्येक शनिवार को अंचल कार्यालयों में जनता दरबार का आयोजन किया जाएगा। कहा गया है कि यदि किसी भूमि विवाद मामले के निपटारे के लिए स्थल निरीक्षण की आवश्यकता महसूस होती है, तो थाना और अंचल कार्यालय द्वारा संयुक्त रूप से स्थल निरीक्षण किया जाएगा, ताकि बाद में निर्णय लेते समय पूरी जानकारी मिल सके।
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जनता दरबार का ऑफलाइन रिकॉर्ड रखा जाएगा, जिसमें विवाद से संबंधित दस्तावेज और साप्ताहिक बैठक में लिए गए निर्णयों व कार्रवाई का विवरण रखा जाएगा। एसपी आम लोगों की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए और सीओ अंचल कार्यालयों में पुलिस बल तैनात करेंगे। अगर दस्तावेज फर्जी पाए गए, तो उनकी गहन जांच की जाएगी। फर्जी पाए जाने पर ऐसे लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। यानी अन्य आपराधिक मामलों की तरह ही भूमि विवाद से जुड़े मामलों में भी उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में वर्णित प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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