बिहार​ हिंसा के बीच क्यों चर्चा में है मोहम्मद फेंकू का किरदार? देशभर में हो रही तारीफ

बिहार में रामनवमी जुलूस के दौरान हुई हिंसा के बीच नालंदा जिले के बिहारशरीफ से मोहम्मद फेंकू के रूप में एक किरदार उभर कर आया। उन्होंने अपने कर्तव्यों को सांप्रदायिक भावनाओं से उपर उठकर निभाया। इसी वजह से इस शख्स के किरदार की सिर्फ बिहार…

बिहारशरीफ। बिहार में रामनवमी जुलूस के दौरान हुई हिंसा के बीच नालंदा जिले के बिहारशरीफ से मोहम्मद फेंकू के रूप में एक किरदार उभर कर आया। उन्होंने अपने कर्तव्यों को सांप्रदायिक भावनाओं से उपर उठकर निभाया। इसी वजह से इस शख्स के किरदार की सिर्फ बिहार में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चर्चा हो रही है, लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं। आपके जेहन में भी सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ऐसा क्यों? मोहम्मद फेंकू के किरदार में क्या खास है? आप भी उनके बारे में सब कुछ जानना चाहते होंगे। आइए इस बारे में जानते हैं।

एक तरफ रोजा थे, दूसरी तरफ शोभायात्रा के रथ के सारथी भी

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दरअसल, जब बीते 31 मार्च को बिहारशरीफ में रामनवमी जुलूस के दौरान दो पक्षों के बीच हिंसा की आग धधक रही थी, उपद्रवियों के सिर पर धर्मांधता का जुनून सवार था। उस समय बिहार शरीफ में आयोजित शोभायात्रा के रथ के सारथी मोहम्मद फेंकू ही थे। रमजान का महीना चल रहा है। एक तरफ वह रोजा (व्रत) के नियमों का पालन कर रहे थे। दूसरी तरफ उस रथ के सारथी भी थे, जिस पर भगवान शिव-पार्वती और हनुमान के रूप में कलाकार विराजमान थे।

उनका यही किरदार ‘टार्च बीयरर’ बनकर उभरा

राजनीतिक चिंतक आशीष शर्मा कहते हैं कि उनका यह किरदार दिल को छूने वाला है। देश भर में उनकी चर्चा इसीलिए हो रही है कि उनका यही किरदार हिंसा रूपी अंधकार के बीच शांति रूपी जुगनू की तरह जगमगा रहा है। टार्च बीयरर की तरह​ हिंसा के लिए उन्मत्त उपद्रवियों को एक नयी राह दिखाता है। उनका किरदार हिंसा के बीच टार्च बीयरर (पथ प्रदर्शक) बनकर उभरा है।

मोहम्मद फेंकू को सुरक्षित घर पहुंचाने की हुई व्यवस्था

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोहम्मद फेंकू जब हिंसा वाले दिन को याद करते हैं तो कहते हैं कि उनका रथ सोगरा कॉलेज के पास पहुंचा था। तभी दो गुटों में विवाद की सूचना प्राप्त हुई। शोभायात्रा के आयोजकों ने रथ पर भगवान के रूप में सवार कलाकारों को सकुशल उतारा और ले गए। उनसे कहा गया कि आप रथ लेकर जाइए। मोहम्मद फेंकू को घर तक सुरक्षित पहुंचाने की भी व्यवस्था की गई थी।

...पर जब कलाकार सुरक्षित निकल गए, तब घर जाने को हुए तैयार

पर मोहम्मद फेंकू को अपने से ज्यादा देवी-देवताओं के रूप में सजे धजे कलाकारो की चिंता थी। वह कलाकारों को किसी तरह के नुकसान पहुंचने की आशंका से भयभीत थे। इसी वजह से वह अपने घर जाने को राजी नहीं हुए, बल्कि जब कलाकार अपने गंतव्य तक सुरक्षित चले गए। तब वह घर जाने को तैयार हुए।

उन्हें सकुशल घर पहुंचाने के बाद हिंदू साथी लौटें

उनका कहना है कि उसके बाद वह कुछ हिंदू साथियों के साथ रथ लेकर निकले और मणिराम अखाड़ा से थोड़ा पहले रूकें। वहां प्रशासन की मदद से वह रथ लेकर घर पहुंचे और तब उनके साथ गए हिंदू साथी लौटें। हिंसा के बीच सामाजिक सद्भाव का यह प्रसंग बिल्कुल अनोखा है। यही वजह है कि इस प्रकरण की देश भर में चर्चा हो रही है।

चंद लोगों की वजह से शर्मसार

उनका कहना है कि इस दौरान किसी ने उनसे कुछ नहीं पूछा और न ही किसी तरह का नुकसान पहुंचाया। घर पहुंचकर उन्होंने प्रभावितों की सहायता भी की। इस घटना का उन्हें अफसोस भी है। वह कहते हैं कि पहले ऐसा कभी नहीं हुआ और वर्तमान में भी ऐसा नहीं होना चाहिए था। शहर में वर्षों से दोनों समुदायों के लोग मिलजुल कर रहते हैं। चंद लोगों की खुराफात की वजह से बिहार शरीफ के निवासियों को शर्मसार होना पड़ा है।

इंसानियत का असली चेहरा

रामनवमी जुलूस के हिंसा के बाद बड़े पैमाने पर नुकसान की खबरें भी आईं। इस दौरान स्थानीय निवासियों शंका आशंकाओं के बीच कई दिन गुजरें। अफवाहों का बाजार इतना गर्म था कि नालंदा जिला प्रशासन को अफवाहों का बिन्दुवार खंडन जारी करना पड़ा। ऐसे माहौल में मोहम्मद फेंकू का किरदार बिहार शरीफ में बसने वाली इंसानियत का असल चेहरा दिखाता है।

कौन हैं मोहम्मद फेकू?

बिहार शरीफ के अंबेर उचकापर निवासी मोहम्मद फेकू (65 वर्षीय) डेढ़ दशक से रथ चला रहे हैं। उनके जीविकोपार्जन का साधन यही है। किसी भी धार्मिक आयोजन में शामिल होने से वह परहेज नहीं करते हैं। दोनों समुदायों के लोग उन्हें सम्मान देते हैं। वह यह भी कहते हैं कि उनकी दुआ है कि हिंदू-मुस्लिम सब मिलकर रहें, आगे बढ़ें और एक-दूसरे के काम आएं।

धीरे-धीरे शांति की पटरी पर लौट रहा बिहार शरीफ

​हालांकि बिहार शरीफ में हिंसा इतनी बढ़ी कि लगभग 100 साल पुराने लाइब्रेरी और मदरसे को फूंक दिया गया। वर्ग विशेष के व्यापारिक प्रतिष्ठान लूटे गए। इन वारदातों की वजह से माहौल दो दिन तक तनावपूर्ण रहा। जिला प्रशासन को इंटरनेट पर पाबंदी लगानी पड़ी। पर अब बिहार शरीफ धीरे धीरे शांति की पटरी पर लौट रहा है।

इन धर्मगुरुओं ने संयुक्त बयान जारी कर दिया भाइचारे का संदेश

बिहार के सर्वधर्म मंच ने शांति सद्भाव बनाए रखने की अपील की। बिहार शरीफ में जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ समाज के विभिन्न तबकों के लोग शांति मार्च में शामिल हुए। मंच में शामिल विभिन्न धर्मों के गुरुओं ने संयुक्त बयान जारी कर भाईचारे का संदेश दिया। इनमें बड़ी पटनदेवी, पटना के महंथ विजय शंकर गिरि, आर्च बिशप्स हाउस पटना के फादर जेम्स, बिहार दलित विकास समिति के फादर जोंस, जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार के प्रदेश अध्यक्ष रिजवान अहमद इस्लाही, सनातनी सिख सभा पटना साहिब के सरदार तिरलोक सिंह, जैन मंदिर, मीठापुर, पटना के विजय कुमार जैन और गौतम बुद्ध विहार, दारोगा राय पथ, पटना के भंते उपालि ने संयुक्त बयान जारी किया था।

संयुक्त बयान में क्या कहा?

संयुक्त बयान में कहा गया है कि सभी धर्मों के लोग यहां मिलजुल कर रहते आए हैं। पर पिछले दिनों नालंदा और सासाराम समेत कुछ जिलों की घटनाएं दुखद हैं। एक साथ रहते हुए कुछ मामलों में मतभेद हो सकते हैं, पर मन में विद्वेष और एक-दूसरे की जान-माल से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। न ही संपत्ति को नष्ट पहुंचाना चाहिए।

कॉन्टेन्ट सोर्सः आवाज द वाइस

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