
कटिहारः बिहार के कटिहार जिले के दंधखोड़ा प्रखंड में बना पासंता पुल अब लोगों के लिए मज़ाक से कम नहीं लग रहा। 6 करोड़ रुपये की लागत से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत बनाया गया यह पुल चार साल बीत जाने के बाद भी इस्तेमाल लायक नहीं है, क्योंकि अब तक इसकी एप्रोच रोड (संपर्क सड़क) ही नहीं बनी है। नतीजा, पुल खेतों के बीच हवा में लटका विकास का प्रतीक बन चुका है।
2020 में शुरू हुई इस परियोजना को 2021 तक पूरा कर लिया जाना था। कागज़ पर पुल बन भी गया, लेकिन जिस सड़क से यह जुड़ना था, वह अब तक धरातल पर नहीं आई। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि एक तरफ खेत हैं और दूसरी ओर पुल का एक खंभा निजी ज़मीन पर बना हुआ है। भूमि अधिग्रहण पूरा न होने के कारण एप्रोच रोड निर्माण बीच में ही अटक गया।
गांववालों का कहना है कि परियोजना का डीपीआर (Detailed Project Report) तैयार करते वक्त ही अधिकारियों ने गलती की थी। बिना यह सुनिश्चित किए कि ज़मीन सरकारी है या निजी, पुल का नक्शा बना दिया गया। अब हाल यह है कि सरकार और ठेकेदार एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं, जबकि पुल चार साल से यूं ही धूल फांक रहा है। स्थानीय निवासी कहते हैं कि पुल तो बन गया, लेकिन सड़क नहीं बनी। लोग आज भी वही पुराने रास्ते से 8-10 किलोमीटर घूमकर जाते हैं। इतना पैसा खर्च हुआ, लेकिन किसी को फायदा नहीं मिला।
यह पुल दंधखोड़ा प्रखंड के करीब 10 से 12 गांवों को जोड़ने के लिए बनाया गया था। पुल तैयार हो जाता तो ग्रामीण सीधे कटिहार मुख्यालय तक पहुंच सकते थे। लेकिन संपर्क मार्ग अधूरा रहने के कारण अब भी उन्हें लंबा चक्कर लगाकर नदी पार करनी पड़ती है। बरसात के दिनों में स्थिति और भी खराब हो जाती है। कई बार स्कूली बच्चों और मरीजों को नाव या खेतों के बीच से होकर निकलना पड़ता है।
लोक निर्माण विभाग के सूत्रों का कहना है कि तकनीकी रूप से परियोजना को “पूर्ण” दिखा दिया गया है। लेकिन एप्रोच रोड के लिए अब तक भूमि अधिग्रहण की अनुमति नहीं मिली है। राज्य ग्रामीण कार्य विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कटिहार जिले में ऐसी दर्जनों योजनाएं हैं जो पुल या सड़क के किसी हिस्से पर अधूरी पड़ी हैं।
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