
बिहार चुनाव में जहां बड़े-बड़े गठबंधन और नामी दलों का शोर दूर तक सुनाई दे रहा था, वहीं कैमूर के शांत से दिखने वाले रामगढ़ में एक ऐसा नतीजा निकला जिसने पूरे राज्य की राजनीति को हिला दिया। मुकाबला इतना करीबी, इतना सांसें रोक देने वाला था कि आखिरी दौर की गिनती ने पूरे चुनाव का सबसे रोमांचक दृश्य पेश कर दिया। सिर्फ 30 वोट। हां, मात्र 30 वोटों ने बहुजन समाज पार्टी को बिहार विधानसभा 2025 में पहली और एकमात्र जीत दिलाई और राज्य में मायावती की पार्टी की खोई हुई उम्मीदों को नई रोशनी दी।
रामगढ़ सीट से जीत हासिल करने वाले सतीश कुमार सिंह यादव मूल रूप से कैमूर जिले के निवासी हैं। 39 वर्षीय सतीश यादव के पिता का नाम अगुन सिंह यादव है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा बिहार में पूरी की और इसके बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। एक शिक्षक परिवार से आने वाले सतीश यादव लंबे समय से राजनीति में सक्रिय रहे हैं और रामगढ़ क्षेत्र में उनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है।
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चुनाव से पहले दिए गए हलफनामे के मुताबिक:
सतीश यादव के खिलाफ 2 आपराधिक मामले भी लंबित हैं।
सबसे रोमांचक हिस्सा यह कि मुकाबला इतना नजदीकी था कि हर वोट की कीमत तय कर रहा था विजेता।
रामगढ़ को पारंपरिक रूप से राजद का गढ़ माना जाता रहा है। यहां से लगातार चुनावों में BSP को करीबी हार मिलती रही थी।
लगातार हार के बाद इस बार आई जीत सिर्फ जीत नहीं, बल्कि एक कमबैक है—वह भी बिहार चुनावों का सबसे करीबी नतीजा बनकर।
मायावती की पार्टी BSP ने बिहार की 243 सीटों में से 192 पर चुनाव लड़ा था। पर रामगढ़ की यह 30 वोटों वाली जीत पार्टी के लिए सियासी ऑक्सीजन बनकर उभरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नतीजा भविष्य में बिहार में बसपा की रणनीति और विस्तार के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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