
पटनाः बिहार की सियासत में दशहरे के बाद बड़ा धमाका होने वाला है। जदयू ने इस बार विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे की प्रक्रिया को पूरी तरह बदलने का मन बना लिया है। अब तक समीकरण, जाति गणित और संगठन की सिफारिश से टिकट पाने वाले नेताओं के लिए खबर बुरी है, क्योंकि इस बार उम्मीदवारों को खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने ‘इंटरव्यू’ देना होगा। मुख्यमंत्री खुद उम्मीदवारों को फाइनल करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार सीधे जदयू कार्यालय में बैठकर संभावित उम्मीदवारों और मौजूदा विधायकों से वन-टू-वन बातचीत करेंगे। उनसे पूछा जाएगा कि अपने क्षेत्र में कितना काम किया? सरकार की योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने में क्या भूमिका निभाई? और जनता के बीच उनकी असली पकड़ कितनी है? यानी जो नेता जनता की रिपोर्ट कार्ड में फेल, उसके लिए टिकट का रास्ता मुश्किल होगा।
जदयू में अब तक टिकट का खेल संगठन और कोर कमेटी तक सीमित रहता था। लेकिन इस बार नीतीश ने खुद कमान संभालकर साफ संदेश दिया है कि अब सिर्फ वही चेहरा मैदान में उतरेगा, जो जीत दिला सके। पार्टी के भीतर इसे नीतीश का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।
नीतीश की इस नई पहल से संभावित उम्मीदवारों में बेचैनी बढ़ गई है। जिन्हें टिकट चाहिए, उन्हें अब सीधे मुख्यमंत्री से सवाल-जवाब का सामना करना पड़ेगा। लेकिन कार्यकर्ताओं के लिए यह बड़ी राहत है, क्योंकि अब उन्हें लगता है कि उनकी मेहनत और जमीनी काम को सीधे सीएम देखेंगे।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश का यह कदम विपक्ष को बैकफुट पर धकेल सकता है। राजद और भाजपा जहां संगठन मजबूत करने में लगे हैं, वहीं जदयू जनता के बीच पारदर्शी टिकट वितरण का मैसेज देने में जुट गया है।
दशहरे के बाद शुरू होने वाली यह प्रक्रिया 2–3 दिन तक चलेगी। सुबह से रात तक सीएम उम्मीदवारों से मुलाकात करेंगे और टिकट का फैसला उन्हीं की छानबीन पर होगा। साफ है कि इस बार नीतीश का इरादा साफ है कि जीतने वाले चेहरों पर ही दांव खेला जाएगा।
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