
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज पार्टी के मुखिया प्रशांत किशोर (PK) बड़ी कानूनी मुश्किल में घिर गए हैं। दो राज्यों बिहार और पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में नाम दर्ज होने के मामले में उन्हें निर्वाचन आयोग (EC) के अधिकारी की ओर से आधिकारिक नोटिस भेजा गया है। यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब प्रशांत किशोर बिहार चुनाव में अपनी पार्टी 'जन सुराज' के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, और इस कानूनी उलझन ने उनकी राजनीतिक सक्रियता पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
सासाराम के निर्वाची पदाधिकारी (209-करगहर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र-सह-भूमि सुधार उप समाहर्त्ता) ने दिनांक 28/10/2025 को प्रशांत किशोर को यह नोटिस भेजा है। यह नोटिस सीधे जन सुराज पार्टी के वरीय सदस्य के पते पर भेजा गया है।
नोटिस में दैनिक समाचार पत्र "द इंडियन एक्सप्रेस" में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए बताया गया है कि उनका नाम बिहार और पश्चिम बंगाल, दोनों की निर्वाचक सूची में दर्ज है।
निर्वाची पदाधिकारी ने इस मामले में 'लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950' की दो महत्वपूर्ण धाराओं का उल्लेख किया है। धारा-17 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत नहीं किया जा सकता है। नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि इसका उल्लंघन करने पर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 की धारा-31 के तहत एक वर्ष के कारावास या जुर्माना, या दोनों की सज़ा का प्रावधान है।
अधिकारी ने प्रशांत किशोर को तीन दिनों के अंदर इस गंभीर मामले पर अपना पक्ष स्पष्ट रूप से रखने का निर्देश दिया है। अब सभी की निगाहें प्रशांत किशोर के जवाब और उसके बाद निर्वाचन आयोग की संभावित कार्रवाई पर टिकी हैं।
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