देखें वीडियो: पूर्व जस्टिस मार्कण्डेय काटजू बोले-मैं कहना चाहता हूॅं, 'हिंदुस्तान में का बा', गायिका नेहा सिंह राठौर भी...

Published : Mar 04, 2023, 09:40 PM ISTUpdated : Mar 04, 2023, 09:45 PM IST
patna news Folk singer Neha Rathore met former Justice Markandeya Katju

सार

लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने पूर्व जस्टिस मार्कण्डेय काटजू से मुलाकात की। उन्होंने यूपी पुलिस द्वारा उनको भेजी गई नोटिस पर भी काटजू से बात की। बातचीत के दौरान काटजू ने कहा कि मैं कहना चाहता हूॅं, 'हिंदुस्तान में का बा'।

पटना। लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने पूर्व जस्टिस मार्कण्डेय काटजू से मुलाकात की। उन्होंने यूपी पुलिस द्वारा उनको भेजी गई नोटिस पर भी काटजू से बात की। बातचीत के दौरान काटजू ने कहा कि मैं कहना चाहता हूॅं, 'हिंदुस्तान में का बा'। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए इस मुलाकात का वीडियो 10 मिनट 32 सेकेंड का है। आपको बता दें कि 'यूपी में का बा' गीत के जरिए माहौल खराब करने के आरोप में यूपी पुलिस की तरफ से कुछ दिन पहले ही नेहा सिंह राठौर को नोटिस दी गई है।

 

 

वीडियो में काटजू कह रहे हैं कि आप बहुत बहादुर महिला हैं। आप डरिए नहीं, बहादुर वंश की हैं। इसी तरह काम करते रहिए। ऐसे गीतकार और लेखकर जो जनता की कठिनाइयां उजागर करें। इसके लिए आपको बधाइयां दे रहे हैं। आप गरीबी, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर गीत गा रही हैं। इसके पहले काटजू ने नेहा के आग्रह पर...ये जिंदगी उसी की है...गाना गाकर सुनाया।

नोटिस को बताया गैर कानूनी

नेहा ने पूर्व जस्टिस से यूपी पुलिस द्वारा भेजे गए नोटिस के बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि 160 सीआरपीसी में लिखा है कि कोई थानेदार अपने संलग्न क्षेत्र में ही नोटिस तामील कर सकते हैं। आप तो दिल्ली में बैठी थी तो आपको धारा 160 की नोटिस कैसे तामील हो गई, यह गैर कानूनी है।

काटजू ने ये भी कहा

काटजू ने कहा कि मैं कहना चाहता हूॅं कि ‘हिंदुस्तान में का बा’। ग्लोबल हंगर इंडेक्स का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दो-तीन साल पहले हम लोग 101 नम्बर पर थे। अब छह नम्बर और गिर गए हैं, 107 पर पहुंच गए हैं। आर्थिक विकास की बात हो रही है। एक बार मान भी लिया जाए कि आर्थिक विकास हो रहा है, तो इसका लाभ किसकाे हो रहा है। यह कोई नहीं पूछता है। हमारी अर्थव्यवस्था बढ रही है पर खाने-पीने की चीजों के दाम बढ रहे हैं। चपरासी के 100 नौकरियों के लिए पांच से दस लाख आवेदन आ जाते हैं। पढे लिखे लोग चपरासी की नौकरी के लिए भीख मांग रहे हैं। यह विकास की बात कैसे सच हो सकती है।

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