पूर्णिया विधानसभा चुनाव 2025: वामदल के गढ़ में 25 साल बाद भी BJP का जलवा

Published : Oct 23, 2025, 08:39 AM ISTUpdated : Nov 14, 2025, 05:08 PM IST
Purnia Assembly constituency

सार

पूर्णिया विधानसभा सीट पर पिछले 25 साल से BJP का कब्जा है। हालिया चुनाव में BJP के विजय खेमका ने कांग्रेस को 33222 वोटों से हराया। यह सीट कभी CPM का गढ़ थी, लेकिन 1998 में अजीत सरकार की हत्या के बाद BJP ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली। 

Purnia Assembly Election 2025: पूर्णिया विधानसभा चुनाव 2025 (Purnia Assembly Election 2025) बिहार की सबसे चर्चित सीटों में से एक रही है। यह सीट कभी वामदल (CPM) का गढ़ हुआ करती थी, जहां अजीत सरकार का वर्षों तक दबदबा रहा। लेकिन 1998 में उनकी बेरहमी से हत्या हुई और राजनीति की तस्वीर बदल गई। उपचुनाव में उनकी पत्नी माधवी सरकार ने जीत दर्ज की, लेकिन 2000 के बाद से यहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) का लगातार कब्जा बरकरार है। पिछले 25 साल से पूर्णिया सीट पर बीजेपी का झंडा लहराता रहा है। इस बार बीजेपी प्रत्याशी विजय कुमार खेमका ने 127614 वोट हासिल करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी जीतेंद्र कुमार (94392) को 33222 वोटो से मात दी। तीसरे स्थान पर जन सुराज कैंडिडेट संतोष कुमार सिंह रहे, जिन्हें मात्र 3701 वोट मिले।

जातीय समीकरण व मतदाता

यह सीट पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और यहां करीब 3.5 लाख से अधिक मतदाता हैं। जातीय समीकरण की बात करें तो यहां वैश्य, ब्राह्मण, यादव, मुस्लिम और दलित वोटर चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभाते हैं।

सीट का इतिहास और नतीजे

2010 चुनाव के नतीजे

BJP के राज किशोर केसरी ने INC के राम चरित्र यादव को हराकर जीत दर्ज की।

  •  BJP -54,605 वोट
  •  INC- 39,006 वोट
  •  जीत का अंतर - 15,599 वोट

2015 चुनाव में कौन जीता?

BJP ने विजय कुमार खेमका को प्रत्याशी बनाया। उन्होंने INC की इंदु सिन्हा को हराया।

  •  BJP- 92,020 वोट
  •  INC- 59,205 वोट
  •  जीत का अंतर- 32,815 वोट

2020 चुनाव: किसने मारी बाजी?

 एक बार फिर विजय कुमार खेमका (BJP) ने कांग्रेस की इंदु सिन्हा को हराकर जीत की हैट्रिक पूरी की।

  •  BJP - 97,757 वोट
  •  INC- 65,603 वोट
  •  जीत का अंतर - 32,154 वोट

खास बात: यानी पिछले तीन चुनावों में कांग्रेस ने चुनौती दी, लेकिन हर बार BJP ने बड़ी जीत हासिल की।

अजीत सरकार और वामदल का दौर

1980 से 1995 तक अजीत सरकार (CPM) पूर्णिया के अपराजेय नेता रहे। उन्होंने लगातार चार बार जीत दर्ज की। उनकी हत्या के बाद वामदल का ग्राफ गिर गया और BJP ने यहां मजबूत पकड़ बना ली।

 

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