पटना मेट्रो की पहली महिला लोको पायलट की कहानी: लोग कहते थे एक्सीडेंट कर देगी, आज वही...

Published : Oct 11, 2025, 06:27 PM IST
swati maurya

सार

पटना की स्वाति मौर्य बैंकिंग की तैयारी छोड़ पटना मेट्रो की पहली महिला लोको पायलट बनी हैं। उन्होंने सामाजिक तानों को दरकिनार कर 6 अक्टूबर को उद्घाटन ट्रेन चलाई। उनकी यह उपलब्धि बिहार के लिए गर्व और लड़कियों के लिए प्रेरणा है।

पटनाः कभी लोगों के तानों में गुम हो जाने वाली एक लड़की ने आज पूरे बिहार को गर्व करने का मौका दिया है। स्वाति मौर्य, जो कभी बैंकिंग की तैयारी कर रही थीं, अब पटना मेट्रो की पहली महिला लोको पायलट बनकर इतिहास रच चुकी हैं। 6 अक्टूबर को जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना मेट्रो का उद्घाटन किया, उसी ट्रेन की कमान संभाली थी स्वाति ने, वो भी अपने गृह जिले में।

बैंक की लाइन से लेकर मेट्रो के ड्राइविंग सीट तक

स्वाति मौर्य पटना की रहने वाली हैं। उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से जूलॉजी ऑनर्स की पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद सरकारी नौकरी का सपना लेकर बैंकिंग की तैयारी करने लगीं। एक दिन वह बैंक में फॉर्म जमा कराने गईं, तभी कुछ छात्र दिल्ली मेट्रो की भर्ती फॉर्म भर रहे थे। जिज्ञासा से स्वाति ने पूछा कि किस चीज़ का फॉर्म है? जवाब मिला दिल्ली मेट्रो की भर्ती निकली है। यहीं से कहानी पलट गई। स्वाति ने भी फॉर्म भरने का फैसला किया। जिस दिन बैंक की परीक्षा थी, उसी दिन मेट्रो की परीक्षा भी थी। और उन्होंने बैंक छोड़ मेट्रो चुनी।

पहली नौकरी और ट्रेनिंग की शुरुआत

स्वाति 2011 में कस्टमर रिलेशन असिस्टेंट (CRA) के रूप में दिल्ली मेट्रो में चयनित हुईं। मेहनत और लगन से काम करते हुए उन्होंने 2016 में वायलेट लाइन की स्टेशन कंट्रोलर की जिम्मेदारी संभाली। फिर 2020 में लॉकडाउन के दौरान विभागीय परीक्षा दी और ट्रेन ऑपरेटर (लोको पायलट) के पद पर पदोन्नत हुईं। 9 महीने की सख्त ट्रेनिंग के बाद उन्होंने मेट्रो चलाने की जिम्मेदारी संभाली।

लोग ताने मारते थे

स्वाति बताती हैं, “जब मैंने कहा कि मैं मेट्रो चलाऊंगी, तो कई लोग हंसते थे। ताना मारते हुए कहते थे, ट्रेन चला रही है या एक्सीडेंट करेगी? कोई कहता था, लड़की होकर इतनी बड़ी मशीन कैसे संभालेगी? लेकिन मैंने कभी ध्यान नहीं दिया। जवाब अपने काम से दिया। जब पहली बार मेट्रो चलाई, तब रिश्तेदारों ने कहा कि लड़की होकर ट्रेन चला ली? मैंने मुस्कराकर कहा कि मुश्किल तो कुछ भी नहीं, बस हिम्मत होनी चाहिए।”

दिल्ली से पटना की पटरियों तक

15 सितंबर को स्वाति अपने गृह नगर पटना लौटीं। और किस्मत देखिए, उन्हें पटना मेट्रो के उद्घाटन ट्रायल में ट्रेन चलाने का मौका मिला। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य अधिकारियों को लेकर स्वाति ने ट्रेन चलाई यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक सफर था।

परिवार का गर्व, बिहार की पहचान

स्वाति के पिता और परिवार इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं। उन्होंने पूरे परिवार को पटना मेट्रो में सफर कराया। आज बिहार की यह बेटी न सिर्फ राज्य का गर्व बनी है, बल्कि हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है जो तानों और शक के बावजूद अपने सपनों का पीछा करती है। बिहार में पहली बार मेट्रो सेवा शुरू हुई और इसकी कमान एक महिला लोको पायलट के हाथ में है। यह न सिर्फ स्वाति की जीत है, बल्कि हर उस लड़की की जीत है जो सपने देखती है और उन्हें सच करने की हिम्मत रखती है।

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