
पटनाः छठ पर्व के बाद बिहार की सियासत में तापमान और बढ़ने वाला है। महागठबंधन के सभी घटक दल अब पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने जा रहे हैं। सीट बंटवारे की पेचीदगियाँ सुलझने के बाद अब सभी दलों ने संयुक्त प्रचार अभियान की रणनीति पर काम तेज कर दिया है। तेजस्वी यादव, दीपंकर भट्टाचार्य और मुकेश सहनी की सभाओं की तैयारियाँ पूरे जोरों पर हैं। बताया जा रहा है कि महागठबंधन के वार रूम में नेताओं की बैठकों का दौर जारी है, जहां क्षेत्रवार कार्यक्रम, नेताओं की तिथियाँ और मंच साझेदारी को लेकर घंटों मंथन चल रहा है।
महागठबंधन के अंदर इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के स्टार कैंपेनरों को लेकर है। हर जिले से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की सभाओं की मांग लगातार उठ रही है। कई प्रत्याशी चाहते हैं कि उनकी सीट पर इन दोनों में से कोई नेता आए, ताकि जनता का उत्साह बढ़े और पार्टी कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा मिले।
वार रूम में प्रत्याशियों की ओर से लगातार संपर्क साधा जा रहा है ताकि उनके क्षेत्रों में राहुल या प्रियंका की सभाएँ तय की जा सकें। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी की पहली सभा 28 अक्टूबर के बाद प्रस्तावित है। यह बिहार में उनकी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के बाद की पहली बड़ी जनसभा होगी, जिसे कांग्रेस अपने चुनावी अभियान की “रीस्टार्ट” मान रही है।
महागठबंधन के रणनीतिकार हर क्षेत्र के लिए नेताओं का चयन सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखकर कर रहे हैं। मुस्लिम बहुल इलाकों में इमरान प्रतापगढ़ी की सबसे अधिक डिमांड है। सवर्ण बहुल सीटों पर प्रत्याशी दिग्विजय सिंह को बुलाने की मांग कर रहे हैं।
हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कन्हैया कुमार, पप्पू यादव और अखिलेश प्रसाद सिंह जैसे नेताओं की भी जमकर मांग है। हर जिले की सोशल-कास्ट डायनेमिक्स देखकर तय किया जा रहा है कि किस नेता को कहाँ भेजना है, ताकि भीड़ के साथ-साथ मैसेज भी सटीक पहुंचे।
पटना के गर्दनीबाग स्थित वार रूम से इस पूरे प्रचार अभियान की मॉनिटरिंग की जा रही है। यहीं से तय हो रहा है कि कौन नेता किस क्षेत्र में जाएगा, कौन उनके साथ मंच साझा करेगा, किस दिन रैली होगी, और मीडिया कवरेज कैसे होगी। सूत्र बताते हैं कि डिजिटल स्क्रीन पर रीयल-टाइम मॉनिटरिंग हो रही है। सभा स्थल की तैयारियों से लेकर सोशल मीडिया ट्रेंड तक पर कड़ी नज़र रखी जा रही है।
महागठबंधन का डिजिटल प्रचार अब एकीकृत कंट्रोल सेंटर के तहत चलाया जा रहा है। यहाँ से न सिर्फ पोस्ट और ग्राफिक्स तैयार किए जा रहे हैं, बल्कि सभाओं की लाइव कवरेज और रील्स निर्माण तक की प्लानिंग यहीं से हो रही है। कांग्रेस और आरजेडी की टीमों के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए संयुक्त मीडिया डेस्क भी बनाया गया है।
छठ पर्व के बाद ही नेताओं की सभाएँ, रोड शो और जनसंपर्क अभियान तेज़ी से शुरू हो जाएंगे। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन "जनता के दरवाजे तक अभियान" की तैयारी कर रहा है, जबकि कांग्रेस अपने "वोटर अधिकार यात्रा" के जरिए युवाओं और किसानों तक पहुंच बनाने पर फोकस करेगी। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक, नवंबर का महीना बिहार की राजनीति का टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है, जहाँ यह तय होगा कि जनता किसे सुन रही है और किसे ठुकरा रही है।
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