छत्तीसगढ़ की पहली महिला अग्निवीर: पूरी ट्रेनिंग उसे ये भनक तक नहीं लगी कि उसकी प्रेरणा पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे

Published : Mar 30, 2023, 08:29 AM ISTUpdated : Mar 30, 2023, 08:32 AM IST

हिशा बघेल छग की पहली 'महिला अग्निवीर हैं। लेकिन 19 वर्षीय हिशा जब आईएनएस चिल्का में महिला अग्निवीरों के पहले बैच के रूप में अपनी पासिंग आउट परेड में मार्च कर रही थीं, तब उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे।

PREV
17

दुर्ग(Durg).छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की रहने वाली एक ऑटो ड्राइवर की बेटी हिशा बघेल राज्य की पहली 'महिला अग्निवीर-Hisha Baghel selected for Agniveer scheme' हैं। लेकिन 19 वर्षीय हिशा मंगलवार(28 मार्च) को जब आईएनएस चिल्का में महिला अग्निवीरों के पहले बैच के रूप में अपनी पासिंग आउट परेड में मार्च कर रही थीं, तब उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे। हिशा को उनके पिता ने ही आर्म्ड फोर्स में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था। फैमिली ने पिता की मौत के बारे में नहीं बताया, ताकि ट्रेनिंग पर कोई असर पड़े। हिशा छत्तीसगढ़ की पहली महिला अग्निवीर हैं। वह लगभग 2,600 रंगरूटों के एक बैच में थी, जिसमें 273 महिलाएं शामिल थीं। इन्होंने 28 मार्च को ओडिशा के आईएनएस चिल्का में अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण पूरा किया और भारतीय नौसेना में शामिल हुईं।

27

हिशा का परिवार दुर्ग शहर से लगभग 15 किमी और राज्य की राजधानी रायपुर से 50 किमी दूर बोरीगार्का गांव में रहता है। हिशा के बड़े भाई कोमल बघेल ने मीडिया को बताया, "वह अप्रैल के दूसरे सप्ताह में घर आ रही है। हमने अभी तक उसे अपने पिता की मृत्यु के बारे में नहीं बताया है। हम नहीं चाहते थे कि परेड के दौरान उसके कदम लड़खड़ाएं, जो सपना पिता-बेटी ने एक साथ देखा था।"

37

3 मार्च, 2023 को हिशा के पिता संतोष बघेल कैंसर से जंग हार गए। हिशा तब अपनी ट्रेनिंग के अंतिम फेज में थी। संतोष बघेल अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए ऑटोरिक्शा चलाते थे। 2016 में कैंसर का पता चलने पर उन्हें इसे बेचना पड़ा।

47

भाई कोमल ने कहा, "वह एक अच्छी एथलीट थी, जिसने उसे अपना टार्गेट हासिल करने में मदद की। वह विशाखापत्तनम में हुए अग्निवीर फिजिकल टेस्ट में नंबर एक थी।" इसी घर में रहती है हिशा।

57

कोमल ने कहा-"2016 में मेरे पिता के बीमार होने के बाद से हम आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे थे, क्योंकि हमारी सारी बचत उनके इलाज पर खर्च हो गई थी। वह हमारे परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। भले ही मेरे माता-पिता बहुत पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन उन्होंने हमेशा हमें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। तमाम मुश्किलों के बावजूद, हिशा ने हमारे पिता के सपने को पूरा किया।" कोमल अपनी मां सती बघेल के साथ।

67

हिशा बघेल की स्कूल टीचर अनिमा चंद्राकर ने कहा-एक छोटे से गांव बोरी गरका की रहने वाली हिशा ने गांव के ही स्कूल में पढ़ाई करते हुए सेना में भर्ती होने का सपना देखा था। वे तभी से इसकी तैयारी कर रही थीं। जब वे उताई कॉलेज में पढ़ने पहुंची, तब उनके सपनों को उड़ान मिली। यहां हिशा पहली एनसीसी कैडेट बनीं। वे गांव में ही लड़कों के साथ दौड़ लगाती थीं।

यह भी पढ़ें-क्रिकेटर शमी और हसीन जहां कंट्रोवर्सी में आया Big Twist, 4 साल में ऐसे बिखरते गए चीयर लीडर हसीन जहां के ख्वाब

77

केंद्र सरकार की अग्निवीर योजना के तहत सितंबर,2022 में नेवी के लिए भर्ती शुरू हुई थी। हिशा ने भी अप्लाई कर दिया। उनका सिलेक्शन होने पर गांव में जश्न का माहौल है।

यह भी पढ़ें-अय्याश और जालिम 'शेखों' ने छोड़ रखे हैं भारत में एजेंट्स, एक बार जो महिला फंसी, फिर शरीर को निचोड़कर रख देते हैं

Recommended Stories