विदेश में नौकरी और शादी का लालच देकर धोखे से युवाओं को रूस और बेलारूस भेज रहे एजेंट, आर्मी ज्वाइन करने को कर रहे टॉर्चर

विदेश में नौकरी दिलाने और विदेशी लड़की से शादी कराने और विदेश का वर्क परमिट दिलाकर सेटल करने का लालच देकर उन्हें धोखे से रूस और बेलारूस के कैंप ले जाकर रूसी आर्मी ज्वाइन करने के टॉर्चर किया जा रहा। एजेंटों के चंगुल से बचकर आने वालों ने किया खुलासा।

Yatish Srivastava | Published : Mar 30, 2024 10:10 AM IST

चंडीगढ़। हरियाणा के चचेरे भाई मुकेश और सनी का दावा है कि करीब 200 से अधिक पुरुष रूस-बेलारूस बॉर्डर के पास के जंगल में फंसे हुए हैं। उन्हें नौकरी दिलाने के नाम पर एजेंट्स अपने जाल में फंसाकर यहां ला रहे हैं और फिर उन्हें रूसी आर्मी ज्वाइन करने के लिए फोर्स किया जाता है। मना करने पर उन्हे टॉर्चर किया जाता है। यह शॉकिंग है लेकिन विदेश भेजने के नाम पर कई एजेंट लोगों को रूस और बेलारूस भेज रहे हैं जहां उन्हें रूसी आर्मी ज्वाइन करने का दबाव डाला जा रहा। मना करने पर टॉर्चर किया जा रहा। 

धोखे से जर्मनी के बजाए बैंकॉक भेजा
दोनों भाइयों का कहना है कि उन्हें जर्मनी भेजनी की बात कही गई थी लेकिन धोखे से उन्हें बैंकॉक भेज दिया गया। यहां एजेंट ने वादा किया कि वह एक होटल में उन्हें नौकरी दिला देगा। इसके बाद बैंकॉक से उन्हें प्लेन से बेलारूस ले जाया गया फिर वहां से जंगल सीमा क्षेत्र से रूस ले जाया गया जहां पहले से कैंप बने हुए थे।

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रूसी वर्क परमिट, रूसी दुल्हन का लालच
यहां से जाने वाले साउथ एशिया के लोगों को एजेंट रूसी वर्क परिमिट दिलाने और रूसी लड़की से शादी कराने और सेना में शामिल कराने का लालच देते हैं। सेना में जाने से मना करने पर उन्हें टॉर्चर किया जाता है। एजेंट उन्हें नौकरी और बढ़िया शादी कराने का सब्जबाग दिखाकर फंसा लेते हैं। दोनों ने भाइयों का दावा है कि करीब 200 से ज्यादा लड़के इन एजेंटों के जाल में फंसे हुए हैं।

15-15 दिन खाना नहीं दिया जाता था
दोनों भाइयों ने बताया कि रूसी आर्मी ज्वाइन करने के लिए उनपर दबाव बनाया जाता था। मना करने पर 15-15 दिन खाना तक नहीं दिया जाता था। उन्हें मारा-पीटा भी जाता था। इन एजेंटों के जाल में फंसकर जाने वालों को लौट पाना असंभव से हो जाता है।

घुसपैठिए बताकर मॉस्को जेल में डाल दिया
एजेंटों के टॉर्चर से परेशान युवकों ने ब ताया कि उन्हें रूसी आर्मी ज्वाइन करने के लिए दिनरात टॉर्चर किया जाता था। मना करने पर उन्हें बिना परिमिट रूस आने के आरोप में मॉस्को जेल में डाल दिया गया। मॉस्को में एक वकील ने उनकी जेल से निकलने में मदद की और एजेंट के जरिए हमारे वतन वापसी का इंतजाम  कराया। 

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