सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा सीएए अधिसूचना विवाद, IUML ने कानून पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर की याचिका

सीएए को लेकर लगातार विरोध विरोध बढ़ता जा रहा है। हाल ये है कि मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। आईयूएमएल की ओर से सीएए पर रोक लगाने की मांग को लेकर गुहार लगाई गई है।

 

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन अधिनियम एक्ट 2024 को लेकर मुस्लिम समुदाय की ओर से शुरू से विरोध किया जा रहा है। ऐसे में अब मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच गया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया ने अब सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करते हुए इसके प्रभावी किए जाने पर रोक लगाने की मांग की है। 

आईयूएमएल ने बताया कानून को अपरिपक्व
आईयूएमएल (IUML) का सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा है है कि अभी तक इस कानून को पूरी तरह से तैयार नहीं किया गया है और कई सारे सवाल अभी भी लोगों के सामने खड़े हैं। अभी कानून लागू किए जाने पर लोग नियमों के जाल में उलझ जाएंगे। कई सारे नियम अभी भी पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। ऐसे में संगठन की ओर से सीटिजनशिप अमेंडमेंट ऐक्ट (CAA) के कार्यान्वयन पर रोक लगाने को लेकर याचिका में इसपर रोक लगाने को लेकर आवेदन किया गया है।

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कानून में मुस्लिम समुदाय को क्यों नहीं किया शामिल 
केंद सरकार की ओर से सीएए कानून लागू करने को लेकर सोमवार को नोटिफिकेशन रीलीज किया गया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी है। हालांकि सीएए का कहना है कि वह भारत की बाहर से प्रताड़ित लोगों को नागरिकता देने का विरोध नहीं करती है लेकिन उनका कहना है कि इसमें कानून में मुस्लिम धर्म के लोगों को क्यों नहीं शामिल किया गया है। मुस्लिम समुदाय से ये भेदभाव क्यों किया जा रहा है।  

 क्या है CAA कानून
आम भाषा में बात करें तो सीएए कानून के तहत बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भारत में आकर रह रहे गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को इसमें भारतीय नागरिकता देने की बात कही जा रही है। 

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