ओडिशा ट्रेन हादसा इमोशनल सीन: पति के कंधे पर सिर रखकर रो पड़ी, फिर सिर झुकाकर मान लिया कि 22 साल का बेटा मर चुका है

ओडिशा के बालासोर में 2 जून को हुए भारत में 20 साल के इतिहास के सबसे बड़े रेल हादसे ने कई परिवारों पर वज्रपात किया है। ये तस्वीर उस अभागी मां की है, जिसे बड़ी मुश्किल समझाया जा सका कि उसका बेटा अब दुनिया में नहीं रहा।

बालासोर. ओडिशा के बालासोर (Balasore also known as Baleshwar) में 2 जून को हुए भारत में 20 साल के इतिहास के सबसे बड़े रेल हादसे ने कई परिवारों पर वज्रपात किया है। ये तस्वीर उस अभागी मां की है, जिसे बड़ी मुश्किल समझाया जा सका कि उसका बेटा अब दुनिया में नहीं रहा। इस भयानक हादसे के बाद रिश्तेदार और परिजन अभी भी अपने प्रियजनों को ढूंढ़ते फिर रहे हैं। मॉर्चुरी में रखी क्षत-विक्षत लाशों की शिनाख्त एक बड़ी चुनौती है। एम्स के अलावा दूसरे अस्पतालों की मॉर्चुरी में रखी लाशों के बीच अपने प्रियजनों को खोजना वाकई दर्दनाक है।

बालासोर ट्रेन हादसे की बाद की इमोशनल कहानियां

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बहनागा बाजार स्टेशन, बहानागा स्कूल और बालासोर जिला मुख्यालय अस्पताल (DHH) में लोग बदहवास से यहां-वहां भटकते देखे जा सकते हैं। कइयों के अपने लापता हैं। वे जीवित हैं या नहीं, किसी को नहीं मालूम। हालांकि रेलवे के अलावा पूरा प्रशासन व्यवस्था बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या क्षत-विक्षत शवों की शिनाख्त है।

बहानगा स्कूल में एक अस्थायी मुर्दाघर में अपने 22 साल के बेटे को खोजते हुए पहुंची इस मां को जब एक अधिकारी ने लैपटॉप में फोटो दिखाकर पहचान कराने की कोशिश की, तो पहले तो उसे यकीन ही नहीं हुआ। काफी देर तक समझाने के बाद वो कुछ सेकंड अपने पति के कंधे पर सर रखकर रोती रही, फिर मायूसी में सिर झुकाकर यह मान लिया कि उसका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा।

ऐसी सिर्फ ये अकेली मां नहीं है, कई लोग अपनों को खोजते देखे जा सकते हैं। ऐसे ही दु:खी एक अली अख्तर सलीम भी दिखे। वे एक तस्वीर लिए बहानगा हाईस्कूल में अपने बेटे अमन के बारे में पूछते दिखाई दिए। सलीम के अनुसार, अमन अपनी मौसी के पास गया था और कोरोमंडल एक्सप्रेस से लौट रहा था।

व्यवस्था के हिसाब से अधिकारियों ने अमन का शव बहानागा स्कूल की अस्थायी मॉर्चुरी से दूसरी जगह भेज दिया था। अमन की मां की तबीयत लगातार बिगड़ी हुई है। वे बेटे की मौत का सदमा सहन नहीं कर पाई हैं।

मिथुन कुमार भी एक तस्वीर लिए अधिकारियों से अपने 22 वर्षीय भाई ललित कुमार के बारे में पूछते दिखे। ललित भी कोरोमंडल एक्सप्रेस से सफर कर रहे थे।

कब हुआ था बालासोर ट्रेन हादसा, जानिए डिटेल्स

2 जून की शाम 7.20 बजे बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस एक मालगाड़ी से टकरा गई थी। उसी समय इससे यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस भी आकर भिड़ गई थी। यानी तीन ट्रेनें आपस में टकराई थीं।

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