नई दिल्ली। दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशल एयर पोर्ट पर 2027 के लास्ट तक एक हाईटेक एयर ट्रेन सिस्टम की शुरुआत होने जा रही है, जिससे टर्मिनलों के बीच ट्रैफिक बेहद आसान हो जाएगा। दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) ने इस उद्देश्य से 4 स्टॉप्स वाले एक आटोमैटिक पीपल मूवर (APM) के निर्माण के लिए टेंडर जारी किया है। प्रस्तावित एयर ट्रेन का रूट 7.7 किमी. लंबा होगा, जिसमें टर्मिनल 2/3, टर्मिनल 1, एरोसिटी और कार्गो सिटी के बीच सीधी कनेक्टिविटी दी जाएगी। यह ट्रेन DTC बसों और अन्य लंबी दूरी के साधनों की जरूरत को खत्म कर देगी, जिससे यात्रियों को बेहतर और सुविधाजनक ट्रांजिट सर्विस मिलेगी।
एयर ट्रेन सिस्टम स्कीम की खास बातें
यह एयर ट्रेन देश में किसी भी एयरपोर्ट पर पहली बार लगाई जा रही है। GMR समूह द्वारा समर्थित इस प्रोजेक्ट के लिए टेंडर अक्टूबर और नवंबर 2024 के बीच निकाली जाएगी। प्रोजेक्ट का काम 2027 के लास्ट तक पूरा होने की उम्मीद है। टेंडर प्रॉसेस के तहत DIAL ने डिजाइन, कंस्ट्रक्शन, फाईनेंसिंग, ऑपरेशन एंड ट्रांसफर (DBFOT) मॉडल पर इस योजना को लागू करने का प्रस्ताव रखा है। एयर ट्रेन सिस्टम एयरोसिटी और कार्गो सिटी के माध्यम से टर्मिनलों के बीच तेज़, सुरक्षित और सेमलेस कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगी।
प्रोजेक्ट की कास्ट और सिक्योरिटी
प्रोजेक्ट के लिए अनुमानित कास्ट 2,000 करोड़ रुपये से कम हो सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक DIAL को केंद्रीय विमानन मंत्रालय ने निर्देश दिए हैं कि इस योजना के पूरा होने तक यात्रियों से कोई डेवलपमेंट फीस नहीं लिया जाएगा। एयर ट्रेन फ्री होगी और इसके कंस्ट्रक्शन की कास्ट एयरलाइनों और एयरोनाटिकल फीस के माध्यम से वसूल की जा सकती है।
दिल्ली एयरपोर्ट की बढ़ती जरूरतें
दिल्ली एयरपोर्ट वर्तमान में 7 करोड़ से अधिक यात्रियों को संभालता है और अगले 6-8 वर्षों में यह संख्या 13 करोड़ से अधिक होने की उम्मीद है। इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए एयर ट्रेन जैसी सुविधाएं जरूरी हैं। एयर ट्रेन के बिना ट्रांजिट यात्रियों की बड़ी संख्या को संभालना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। अनुमान है कि आईजीआईए में 25 प्रतिशत यात्री ट्रांजिट यात्री होंगे। बिना एयर ट्रेन के, इन यात्रियों को संभालना एक बड़ी चुनौती होगी।
और भी मिलेंगी कई सुविधाएं
यह प्रोजेक्ट यात्रियों को तेज़, सुविधाजनक और सुरक्षित यात्रा का अनुभव प्रदान करने के लिए तैयार की गई है। इसके साथ ही यह टर्मिनल ट्रांसफर के प्रॉसेस को भी सुगम बनाएगा, जिससे दिल्ली हवाई अड्डे का ASQ स्कोर भी बढ़ेगा और कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सकेगा।
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