एक तरफ लाठी लिए खड़े दर्जनों पुरुष और दूसरी तरफ कुछ महिलाएं, लेकिन किसी कि हिम्मत नहीं हुई कि वे आगे बढ़ सकें। वृंदावन के बरसाने की लट्ठमारी होली की परंपरा यूपी के झांसी में भी 1100 साल से चली आ रही है।
झांसी(यूपी). एक तरफ लाठी लिए खड़े दर्जनों पुरुष और दूसरी तरफ कुछ महिलाएं, लेकिन किसी कि हिम्मत नहीं हुई कि वे आगे बढ़ सकें। वृंदावन के बरसाने की लट्ठमारी होली की परंपरा यूपी के झांसी में भी 1100 साल से चली आ रही है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें महिलाएं हुरियारों को खदेड़ते दिख रही हैं।
झांसी जिले के रक्सा थाना क्षेत्र के अंतर्गत डगरवाहा में 9 मार्च को लट्ठमार होली खेली गई। इसमें महिलाओं ने लट्ठ लेकर हुरियारों की अच्छे से खबर ली। यहां के बुजुर्ग बताते हैंकि यह परंपरा 1100 साल पुरानी है। इस बार करीब 150 महिलाओं ने 400 से अधिक पुरुष हुरियारों को मार भगाया। पुरुष खुद को बचाते दिखे। कहा जा रहा है कि इस दौरान गलती से कुछ पुरुषों के सिर में चोटें भी आईं। सैकड़ों लाठियां टूटीं।
यहां मान्यता है कि हुरियारों को 50 फुट ऊंचे खंबे पर चढ़कर गुड़ तोड़ना पड़ता है। लेकिन महिलाएं उन्हें ऐसा करने से रोकती हैं। इस बार लट्ठमार होली करीब दो-ढाई घंटे चली। बाद में युवक झुंड बनाकर खंभे से गुड़ तोड़ने में कामयाब रहे। गांव के लखपत परिहार ने गुड़ नीचे उतारा।
खंभे पर गुड़ के अलावा पैसे भी बांधकर रखे जाते हैं। यह ठीक मटकी तोड़ प्रतियोगिता जैसा आयोजन होता है। पुरुष एक-एक करके पोटली उतारने की कोशिश करते हैं और महिलाएं उन्हें ऐसा करने से रोकती हैं। जब तक पोटली नीचे नहीं उतार ली जाती, तब तक महिलाएं पुरुषों पर लट्ठ बजाती रहती हैं।
गांववालों के मुताबिक, गांव में खाती बाबा के मंदिर के सामने करीब 100 मीटर का ग्राउंड है। यहीं होली के अगले दिन 50 फुट ऊंचा खंभा गाड़ा जाता है। इस पर गुड़ और पैसों की पोटली बांधी जाती है। महिलाएं करीब 15 फीट के डंडे से हुरियारों को भगाती हैं। अगर पोटली नहीं उतारी जा पाती है, तो 5 दिन बाद दुबारा होली खेली जाती है।
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