ओडिसा ट्रेन हदासे में 288 लोगों की मौत हो चुकी है और एक हजार के पार घायल बताए जा रहे हैं। रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। खुद पीएम मोदी मौके पर जयाजा लेने पहुंचे।
बालासोर. ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे ने पूर देश को हिलाकर रख दिया है। कैसे लापरवाही और सिस्टम की गलती की वजह से तीन ट्रेनें टकरा गईं और 288 लोगों की मौत हो गई। हदासे के बाद जो तस्वीरें सामने आई हैं वह वाकई भयावह हैं। कैसे 2 जून को हुए भीषण हादसे के बाद लोगों के शव क्षत-विक्षत हालत में मिले। कटी-फिटी इन लाशों को देखकर हर किसी की रूह कांप गई। टक्कर के दौरान जो बचाओ-बचाओ चीख रहे थे, कुछ देर बाद ही उनके परिजन पटिरयों पर अपनों के शव तलाशते रहे।
कोरोमंडल एक्सप्रेस के टकराते ही कई शव उछलकर नाले में जा गिरे
कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन में सफर करने वाली हादसे की चश्मदीद बंगाल की रहने वाले रुपम बनर्जी बताते हैं कि ट्रेन के टकराते हुए इंजन से सटे दो जनरल डिब्बों के अलावा तीन स्पीलर क्लास के बोगी भी चकनाचूर हो गईं। टक्कर इतनी खतरनाक था कि कई शव पटरी के किनारे बने नाले में उछलकर जा गिरे। यह दृश्य इतना दर्दनाक था कि इसे मैं अपने जीवन काल में नहीं भूल सकता। मैंने अपनी करियर में इससे बड़ा और खतरनाक हादसा नहीं देखा। बता दें कि रुपम चेन्नई जाने के लिए रेल की यात्रा कर रहे थे।
बालासोर में सफेद चादर से ढकी लाशों को बदहासी हालत में देखता रहा बुजुर्ग पिता
जिस वक्त शाम 7 बजे के करीब यह ट्रेन हादसा हुआ तो हर तरफ बचाओ-बचाओ चीखने की आवाजें सुनाई दे रही थीं। लेकिन किसे पता था कि अगली ही सुबह शनिवार को उसमें से कई पैसेंजर के शव पटरियों पर पड़े मिले। तो कुछ के शव रेलवे ने सफेद चादर से लपेटकर किनारे रखे हुए थे। इसी बीच एक बुर्जुग पिता रवींद्र शॉ बदहासी की हालत में सफेद चादरों से ढकी इन लाशों के चेहरा देखते जा रहे थे। जिसमें से कई चेहरो का हालत इतना बुरा हो चुका था कि वह उन्हें देख भी नहीं सके। दरअसल, बुजुर्ग बालासोर में बेटे गोविंद को तलाश कर रहे थे। गोविंद कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन में सफर कर रहा था जो अब तक लापता था।