हिमाचल प्रदेश की राजधानी में एक स्कूली छात्रा के साथ रेप का मामला सामने आया है। घटना का खुलासा तब हुआ, जब पीड़िता का पेट दु:खा। यानी परिजनों को पता चला कि उसकी बेटी प्रेग्नेंट है, तब वे पुलिस के पास पहुंचे।
शिमला. हिमाचल प्रदेश की राजधानी में एक स्कूली छात्रा के साथ रेप का मामला सामने आया है। घटना का खुलासा तब हुआ, जब पीड़िता का पेट दु:खा। यानी परिजनों को पता चला कि उसकी बेटी प्रेग्नेंट है, तब वे पुलिस के पास पहुंचे। जिस युवक पर आरोप लगा है कि वह भी नाबालिग है। पुलिस ने पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज लिया है।
पुलिस में दर्ज कराई गई FIR के अनुसार, शिमला के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा के साथ हुए रेप का पता पेट में दर्द उठने पर चला। परिवार के लोग उसे अस्पताल लेकर गए थे। वहां टेस्ट किए जाने पर डॉक्टरों ने बताया कि वो गर्भवती है। आरोप है कि उसी के स्कूल में पढ़ने वाले एक लड़के ने रेप किया। परिजनों की शिकायत पर सदर थाना में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने कहा कि आरोपी नाबालिग है। वो भी इसी सरकारी स्कूल में 12वीं का छात्र है। पुलिस ने IPC की धारा 376 (2)(n) IPC & 6 of पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है।
कुछ दिन पहले ही शिमला के ठियोग में स्कूली छात्रा के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था। आरोपी स्कूली छात्रा को अपनी गाड़ी में लिफ्ट देने के बहाने जंगल ले गया था। आरोपी ने पीड़िता को जान से मारने की भी धमकी दी थी। पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज कर ली है।
पुलिस के मुताबिक, पीड़िता ने परिजनों को बताया था कि वो 6 मार्च को स्कूल जा रही थी। तभी आरोपी गाड़ी में लिफ्ट के बहाने जंगल में ले गया। ठियोग थाने में FIR नंबर 51/23 दर्ज की गई है। IPC की धारा 376, 506 IPC & 4 पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। मा
अप्रैल, 2021 में शिमला की एक अदालत ने 28 वर्षीय एक व्यक्ति को 2017 में शिमला के कोटखाई इलाके के एक जंगल में 16-स्कूली छात्रा के साथ बलात्कार और हत्या करने का दोषी ठहराया था। पीड़िता जुलाई 2017 में जंगल से स्कूल से घर लौटते समय लापता हो गई थी और बाद में जंगल में एक खाई में मृत पाई गई थी। इस घटना ने हिमाचल प्रदेश में व्यापक सार्वजनिक विरोध और हंगामा शुरू कर दिया था। शिमला के ऊपरी हिस्सों में लकड़हारे के रूप में काम करने वाले अनिल कुमार उर्फ नीलू उर्फ कमलेश को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (i), 376 (ए), और 302 और भारतीय दंड संहिता की धारा 4 के तहत दोषी ठहराया गया था।
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