लॉकडाउन के दौरान मां मटन पका रही थी, तो बेटे ने हड्डियां उठा लीं, फिर सामने आया ये अद्भुत आर्ट

ये हैं 22 साल क कश्मीर युवक अजीज उर रहमान! श्रीनगर के गुलाबबाग इलाके में रहने वाले अजीज जानवरों की हड्डियों के प्रयोग से कलाकृतियां और वस्तुएं बनाते है। अजीज जम्मू-कश्मीर के एकमात्र हड्डी शिल्प कलाकार(bone craft artist) हैं। 

श्रीनगर. ये हैं 22 साल क कश्मीर युवक अजीज उर रहमान! श्रीनगर के गुलाबबाग इलाके में रहने वाले अजीज जानवरों की हड्डियों के प्रयोग से कलाकृतियां और वस्तुएं बनाते है। अजीज जम्मू-कश्मीर के एकमात्र हड्डी शिल्प कलाकार(bone craft artist) हैं। इस समय उनके व्यापक कलेक्शन में जटिल नक्काशीदार डेकोरेटिव पीसेज से लेकर पेन स्टैंड और मोमबत्ती स्टैंड जैसी उपयोगी चीजें शामिल हैं।

क्या है बोन शिल्प आर्ट, आर्टिस्ट अजीज उर रहमान की कहानी

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अजीज बताते हैं कि वो अपनी मां को कश्मीरी हरीसा पकाते देखते थे। एक दिन उन्होंने मटन को इतना उबाला कि टुकड़े हड्डियों से अलग होकर गिर गए। जब उनकी मां ने हड्डियां फेंक दीं, तो अजीज ने एक बड़ी हड्डी उठाई और उससे एक बड़ा चाकू बनाया। अजीज ने बताया कि मटन की उस हड्डी से उन्होंने एक स्मॉल पेंडेंट नाइफ बनाया। उसे सोशल मीडिया पर काफी सराहा गया।

अजीज कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज में एग्रीकल्चर साइंस की पढ़ाई कर रहे हैं। वह बोन आर्ट की अपनी कला के माध्यम से आय भी अर्जित कर रहे हैं। अजीज ने कहा, "मैं जानवरों की हड्डियों से गहने, चाबी की चेन, चाकू और अन्य सजावटी सामान बनाता हूं।"

अजीज ने कहा कि उनके दिमाग में हमेशा क्रियेटिव प्रवृत्ति रहती है। वे बोले-"मुझे बचपन से ही आर्ट और क्रियेटिव चीजें बनाने में रुचि रही है।"

कोविड लॉकडाउन में भारतीयों का संघर्ष, कला और आजीविका

अजीज ने कहा कि कोविड-19 लॉकडाउन उनके लिए एक वरदान साबित हुआ। चूंकि करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था, इसलिए उन्होंने अपने स्किल्स पर काम किया और बेकार पड़ी हड्डियों से बहुत सारी वस्तुएं बनाईं।

अजीज ने कहा-“एक बार जब नक्काशीदार कलाकृतियां तैयार हो जाती हैं, तो मैं उनकी तस्वीरें क्लिक करता हूं और उन्हें बिक्री के लिए अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर पोस्ट करता हूं। कई लोगों ने मेरी कलाकृतियों को उनकी यूनिकनेस के लिए खरीदा है।”

अजीज ने माना कि पहले माता-पिता ने उनका सपोर्ट नहीं किया। उन्हें लगा था कि वो अपना समय बर्बाद कर रहे हैं, लेकिन, आज वे काम की सराहना करते हैं और समर्थन भी।"

अजीज का कहना है कि उनके माता-पिता काम में उनकी व्यस्तता से खुश हैं और उन्हें लगता है कि कम से कम यह उन्हें बुरी संगति और ड्रग्स जैसी सामाजिक बुराइयों से दूर रखता है।

श्रीनगर के अजीज उर रहमान और कश्मीर कला

अजीज-उर रहमान को तब बड़ी पहचान मिली, जब श्रीनगर में कश्मीर आर्ट एम्पोरियम ने नो योर आर्टिसन पहल के तहत उनके कार्यों की दो दिवसीय बोन कार्विंग एग्जिबिशन की मेजबानी की। लोगों ने उनके काम में काफी दिलचस्पी दिखाई। हैंडक्रॉफ्ट एंड हैंडलूम डायरेक्टर महमूद अहमद शाह ने अजीज की प्रतिभा और समर्पण की प्रशंसा की।

स्टोरी क्रेडिट-awazthevoice.in

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