
चंपई सोरेन न्यूज। बीजेपी में शामिल होने के सियासी अटकलों के बीच झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने एक्स पोस्ट के माध्यम से झारखंड मुक्ति मोर्चा के खिलाफ खुली बगावत कर दी है। लिखा-" आखिर ऐसा क्या हुआ, जिसने कोल्हान के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गरीब किसान के बेटे को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया। मुझे 31 जनवरी को अभूतपूर्व घटनाक्रम के बाद इंडिया गठबंधन ने 12 वें मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य की सेवा करने के लिए चुना। अपने कार्यकाल के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन (3 जुलाई) तक पूरी निष्ठा एवं समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया।"
मंत्री ने आगे कहा-"हमें जब सत्ता मिली तब बाबा तिलका मांझी, भगवान बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू जैसे वीरों को नमन कर राज्य की सेवा करने का संकल्प लिया था। झारखंड का बच्चा- बच्चा जनता है कि अपने कार्यकाल के दौरान, मैंने कभी भी, किसी के साथ ना गलत किया, ना होने दिया। फिर अचानक से हूल दिवस के अगले दिन बिना बताए पद से हटा दिया गया। क्या लोकतंत्र में इस से अपमानजनक कुछ हो सकता है? "
चंपई सोरेन का झलका दर्द
चंपई सोरेन का पोस्ट में दर्द साफ झलक रहा था। उन्होंने लिखा-"पिछले चार दशकों के अपने बेदाग राजनैतिक सफर में पहली बार भीतर से टूट गया था। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। दो दिन तक, चुपचाप बैठ कर आत्म-मंथन करता रहा, पूरे घटनाक्रम में अपनी गलती तलाशता रहा। सत्ता का लोभ रत्ती भर भी नहीं था, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी इस चोट को मैं किसे दिखाता? अपनों द्वारा दिए गए दर्द को कहां जाहिर करता? मुझे अपमान का कड़वा घूंट पीना पड़ा।"
इस सफर में सभी विकल्प खुले हुए-चंपई सोरेन
चंपई सोरेन ने कहा-"कहने को तो विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है। लेकिन मुझे बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था। बैठक के दौरान मुझ से इस्तीफा मांगा गया। मैं आश्चर्यचकित था। तभी मैंने भारी मन से विधायक दल की बैठक में कहा- "आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है।" इसमें मेरे पास तीन विकल्प थे। पहला, राजनीति से सन्यांस लेना, दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा, इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना। उस दिन से लेकर आज तक, तथा आगामी झारखंड विधानसभा चुनावों तक इस सफर में मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं।"
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