
रांची। झारखंड के हजारीबाग में जेएसएससी (झारखंड कर्मचारी चयन आयोग) द्वारा आयोजित सीजीएल (संयुक्त स्नातक स्तरीय) परीक्षा को लेकर छात्रों के प्रदर्शन पर पुलिस लाठीचार्ज ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। प्रदर्शनकारी छात्र परीक्षा में धांधली के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे थे।
झारखंड विधानसभा में बुधवार को यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया। आजसू पार्टी के विधायक निर्मल महतो ने विधानसभा के मुख्य द्वार पर धरना देते हुए कहा, "छात्रों की मांगें जायज थीं। उनकी आवाज को दबाने की कोशिश हो रही है।" उन्होंने परीक्षा में धांधली और छात्रों पर बल प्रयोग की सीबीआई जांच की मांग की।
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक बाबूलाल मरांडी ने कहा, "परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताएं स्पष्ट हैं। छात्रों ने कदाचार के सबूत दिए, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह घटना सरकार के लिए आखिरी कील साबित होगी।"
झारखंड के मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने आरोप लगाया कि भाजपा छात्रों के आंदोलन का राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, "विरोध प्रदर्शन लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन कानून व्यवस्था बाधित करना अस्वीकार्य है। सरकार छात्रों की समस्याओं को हल करने के लिए तैयार है।"
झारखंड लोकतांत्रिक क्रांति मोर्चा (जेएलकेएम) के विधायक जयराम महतो ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की। उन्होंने कहा, "छात्रों के पैरों, हाथों और अंगुलियों में फ्रैक्चर हुआ है। मैं सदन में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाऊंगा।"
हजारीबाग की घटना ने झारखंड की राजनीति को उबाल पर ला दिया है। जहां एक ओर विपक्षी नेता इसे सरकार की विफलता बता रहे हैं, वहीं सरकार ने छात्रों के मुद्दों को सुलझाने का भरोसा दिलाया है। इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। विपक्ष ने सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई को जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए। इस विवाद पर सरकार और विपक्ष के बीच बढ़ता टकराव राज्य की राजनीतिक दिशा तय करेगा। वहीं, छात्रों के साथ हुए अन्याय पर न्याय की उम्मीदें जताई जा रही हैं।
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