कहते हैं कि बिना संघर्ष सफलता नहीं मिलती। अगर मिल जाए, तो उसका कोई मूल्य नहीं होता! यह कहानी झारखंड की रहने वाली एक गरीब तीरंदाज की है, जो एक मिसाल बनकर सामने आई है।
जमशेदपुर. कहते हैं कि बिना संघर्ष सफलता नहीं मिलती। अगर मिल जाए, तो उसका कोई मूल्य नहीं होता! यह कहानी झारखंड की रहने वाली एक गरीब तीरंदाज की है, जो एक मिसाल बनकर सामने आई है। नामदा बस्ती की रहने वालीं 16 वर्षीय तीरंदाज राज अदिति कुमारी(16 year old archer Raj Aditi Kumari) ने सिक्किम में आयोजित नेशनल रैंकिंग आर्चरी चैम्पियनशिप में कमाल का प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक(Won bronze medal) जीता है। इस पदक के लिए उन्होंने महाराष्ट्र की तीरंदाज को मात दी।
अदिति कुमारी ने ब्रांज मैडल जीती, सिर्फ यह खबर नहीं है...बल्कि उन्होंने कितने संघर्षों के बावजूद खेल पर ध्यान दिया, लोग इसकी वजह से उन्हें याद कर रहे हैं। पहले बता दें कि एटीसी बर्मा माइंस में कोच रोहित कुमार से ट्रेनिंग ले रहीं अदिति कुमारी ने 15 मार्च को गुजरात में शुरू हो रही सीनियर नेशनल ओपन तीरंदाजी प्रतियोगिता और 19 मार्च से शुरू हो रही सेकंड नेशनल रैंकिंग तीरंदाजी प्रतियोगिता में क्वालिफाई करके झारखंड का गौरव बढ़ाया है।
अदिति की फैमिली की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है। कोरोनाकाल में लॉकडाउन के चलते उनके पिता सूर्यमणि शर्मा की नौकरी जाती रही। फिर भी उन्होंने अपनी बेटी के सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बेटी को नेशनल खेलने जाना था, लेकिन उसके पास अच्छे धनुष-बाण नहीं थे। पिता ने 3.60 लाख का कर्ज लिया और बेटी को आगे बढ़ाया। हालांकि अदिति को सरकार या प्राइवेट संस्थाओं से मदद की उम्मीद है, ताकि वो अपने खेल को जारी रख सके।
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