8 महीने पहले सरकारी कागजों में मर चुका है 70 वर्षीय शख्स, अब अफसरों के आगे गिड़गिड़ाता फिर रहा-'साब मैं जिंदा हूं'

झारखंड में पेंशन बुजुर्गों की एक बड़ी टेंशन बनी हुई है। धनबाद जिले के कसमार के एक बुजुर्ग को सरकारी कागजों में मार दिया गया है। 70 वर्षीय से बुजुर्ग अब अधिकारियों के आगे-पीछे खुद के जीवित होने की दुहाई देता घूम रहा है।

रांची. झारखंड में पेंशन बुजुर्गों की एक बड़ी टेंशन बनी हुई है। वृद्धा पेंशन के लिए बैंकों या सेंटरों के चक्कर काटते बुजुर्गों की खबरें वायरल होने के बाद अब एक नया चौंकाने वाला केस सामने आया है। धनबाद जिले के कसमार के एक बुजुर्ग को सरकारी कागजों में मार दिया गया है। 70 वर्षीय से बुजुर्ग अब अधिकारियों के आगे-पीछे खुद के जीवित होने की दुहाई देता घूम रहा है।

झारखंड में वृद्धा पेंशन को लेकर सरकारी अव्यवस्थाएं, सरकारी रिकॉर्ड में बुजुर्ग को मरा बताया

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ये हैं 70 वर्षीय खेदन घांसी। सरकारी कागजों में इन्हें मृत घोषित कर दिया गया है। लिहाजा इनकी पेंशन भी बंद हो गई। अब ये हैरान-परेशान सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते फिर रहे हैं। कसमार ब्लॉग के बगदा गांव के रहने वाले घांसी दु:खी मन से कहते हैं कि वो अधिकारियों को कह-कहकर थक चुके हैं कि साब मैं जिंदा हूं। घांसी कई दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। गरीबी में जी रहे घांसी की पेंशन बंद होने से उनके लिए खाने-पीने के लाले पड़ रहे हैं।

झारखंड का अजीब केस-जिंदा बुजुर्ग को सरकारी कागजों में मार डाला

हैरानी की बात यह है कि अफसर भी इस मामले में एक-दूसरे की नहीं सुन रहे हैं। कसमार बीडीओ विजय कुमार के पास जब यह मामला पहुंचा, तो उन्होंने फाइल निकलवाई। इसके बाद 20 अप्रैल, 2023 को उन्होंने सामाजिक सुरक्षा, बोकारो के सहायक निदेशक को लेटर लिखा। इसमें बाया गया कि बगदा के पंचायत सचिव द्वारा गलती से जीवित पेंशनधारी को फिजिकल वेरिफिकेशन में मृत घोषित कर दिया गया है। इसलिए उनकी पेंशन रुक गई है। बीडीओ ने अपने लेटर में कहा कि नए फिजिकल वेरिफिकेशन में खेदन घांसी को जीवित पाया गया है। यानी इस आधार पर उन्हें सितंबर, 2022 से पेंशन का भुगतान किया जाए। इस लेटर को लिखे महीनेभर से अधिक गुजर चुका है, लेकिन आगे की कोई कार्यवाही नहीं हुई।

झारखंड में वृद्धा पेंशन का अजब मसला

खेदन को इससे पहले नियमित वृद्धा पेंशन मिल रही थी। लेकिन सितंबर, 2022 में जब अचानक पेंशन बंद हुई, तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया। दफ्तर जाने पर मालूम किया, तो हैरान रह गए। वे तब से ही खुद को जीवित साबित करने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।

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