
भोपाल। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कफ सिरप से हुई बच्चों की मौत के मामले ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस घटना पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि यह बेहद दर्दनाक और अस्वीकार्य है। उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए विवादित कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही, दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सोमवार को छिंदवाड़ा के परासिया क्षेत्र का दौरा करेंगे। वे वहां जाकर प्रभावित गांवों का भ्रमण करेंगे और पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उनका दुख साझा करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार हर प्रभावित परिवार के साथ खड़ी है और इस तरह की लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
छिंदवाड़ा में जिन बच्चों की मौत हुई, उनके इलाज में इस्तेमाल हुई ‘कोल्ड्रिफ कफ सिरप’ की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद सरकार ने इसे पूरे प्रदेश में प्रतिबंधित कर दिया है। प्रशासन ने फार्मेसी दुकानों और अस्पतालों में छापेमारी कर इस सिरप को जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। जांच में पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप के सैंपल अमान्य हैं और इनमें गंभीर खामियां हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हुईं।
घटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने तुरंत एक संयुक्त जांच टीम (Joint Investigation Team) बनाई है। यह टीम पूरे मामले की विस्तृत जांच कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि सिरप की सप्लाई, वितरण और उपयोग में कहां लापरवाही हुई।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने परासिया सिविल अस्पताल में पदस्थ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी को निलंबित कर दिया है। साथ ही, उन्होंने दवा निर्माता कंपनी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
जांच में सामने आया कि डॉ. सोनी निजी प्रैक्टिस कर रहे थे और उन्होंने बच्चों को वही कफ सिरप लिखकर दी, जिससे उन्हें तेज बुखार, पेशाब में दिक्कत और किडनी पर बुरा असर हुआ। इससे कई शिशुओं की मृत्यु हो गई।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश के बाद लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा आयुक्त तरुण राठी ने डॉ. प्रवीण सोनी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इसके साथ ही, थाना परासिया में डॉ. सोनी और कांचीपुरम (तमिलनाडु) स्थित दवा कंपनी मेसर्स श्रीसन फार्मास्युटिकल्स के निदेशक के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 105, 276 और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की धारा 27A के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि दवा निर्माण और वितरण से जुड़ी किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में बिक रही सभी शिशु दवाओं और सिरप की गुणवत्ता की जांच की जाए और संदिग्ध दवाओं को तुरंत बाजार से हटाया जाए।
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