
Madhya Pradesh Tribal Development: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार जनजातीय समुदाय की समृद्धि और विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सरकार की योजनाओं और प्रयासों की वजह से जनजातीय समुदाय हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। इस साल जनजातीय कल्याण के लिए बजट बढ़ाकर 47,295 करोड़ रुपए कर दिया गया है, जो पिछले साल से 6,491 करोड़ रुपए ज्यादा है। इसके चलते प्रदेश आज जनजातीय कल्याण के मामले में देश में अग्रणी राज्य बन गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि जनजातीय समुदाय को आर्थिक विकास के बेहतर अवसर दिए जा रहे हैं। 'सबका साथ, सबका विकास' के सिद्धांत के तहत सरकार उन्हें योजनाओं का लाभ दे रही है और समाज की मुख्यधारा में जोड़कर आत्मनिर्भर बना रही है। खासकर पिछड़ी और कमजोर जनजातियों (PVTG) के विकास और कल्याण के लिए कई ऐतिहासिक प्रयास और नवाचार किए गए हैं। इन प्रयासों से जनजातीय समुदाय न केवल अपने अधिकारों को सुरक्षित रख पा रहा है, बल्कि अपनी संस्कृति और परंपराओं को भी संरक्षित कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय युवाओं को शिक्षा के माध्यम से चयन प्रतियोगिताओं में भाग लेने का अवसर दिया जा रहा है। उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए आजीविका के नए विकल्प और जरूरी साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। साथ ही, उनकी पारंपरिक संस्कृति को आजीविका से जोड़ने की पहल भी की गई है।
सरकार ने जनजातीय समुदाय के प्राकृतिक संसाधनों जैसे जमीन, जल, जंगल और वन्य जीवों की सुरक्षा के अधिकार सुनिश्चित किए हैं। वन अधिकार पत्र, शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए भी व्यापक कदम उठाए गए हैं।
मध्यप्रदेश में पेसा नियमों के लागू होने से जनजातीय ग्राम सभाओं को अपने संसाधनों और पारंपरिक व्यवस्थाओं पर अधिकार मिला है। अब ग्राम सभाएं खुद अपने गांवों की विकास योजनाएं तय कर रही हैं, जिससे जनजातीय क्षेत्रों में स्वशासन की दिशा में एक सशक्त आधार स्थापित हुआ है। वे अपने गांवों की विकास योजनाएं खुद बना रही हैं।
जनजातीय समुदाय की आजीविका से जुड़े लाखों तेंदूपत्ता संग्राहकों का पारिश्रमिक बढ़ाकर अब 4,000 रुपए प्रति मानक बोरी कर दिया गया है। इससे उनकी आय बढ़ी है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। तेंदू पत्ता व्यापार बढ़ने से उन्हें लाभ हुआ है।
प्रदेश में प्रधानमंत्री जन-मन एवं धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष जैसी योजनाओं के तहत 68 करोड़ 30 लाख रुपए से अधिक लागत के विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया है। साथ ही, जनजातीय अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर बनाने और आसानी से उपलब्ध कराने के लिए 21 जिलों में 66 मोबाइल मेडिकल यूनिट्स (MMU) भी शुरू की गई हैं।
मध्यप्रदेश में सिकलसेल हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन सभी 89 जनजातीय विकासखंडों में लागू किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश में हाल ही में एक करोड़वां सिकल सेल स्क्रीनिंग और काउंसिलिंग कार्ड वितरण किए जो ऐतिहासिक क्षण है।
जनजातीय वर्ग के सभी विद्यार्थियों की शिक्षा के प्रोत्साहन के लिए इन्हें छात्रवृत्ति देने की अवधि साल में 10 महीने से बढ़ाकर अब पूरे 12 महीने यानी एक साल कर दी गई है। उनके छात्रावासों को सुविधा संपन्न बनाया गया है। जनजातीय वीर नायकों की शौर्य कथाएं और गौरवगाथाएं स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल की गई हैं। भगवान बिरसा मुंडा जी की जीवनी अब स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेगी। प्रदेश के सभी जनजातीय कन्या आवासीय शिक्षा परिसरों को अब 'माता शबरी कन्या शिक्षा परिसर' नाम दिया गया है। यह जनजातियों को सम्मान देने का एक बेजोड़ उदाहरण है।
पीएम जन-मन कार्यक्रम के तहत आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण में मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर है। इससे पिछड़ी जनजातियों (बैगा, भारिया, सहरिया) को लाभ मिला है। मातृ और शिशु स्वास्थ्य, पोषण और प्रारंभिक शिक्षा में सुधार हुआ है।
राज्य सरकार ने जनजातीय गौरव और पहचान को सम्मान देने के लिए अलीराजपुर जिले का नाम 'आलीराजपुर' कर दिया। यह निर्णय जनजातीय अस्मिता और उनके सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है।
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