Ganesh Chaturthi: यहां धरती से खुद प्रकट हुए गणपति बप्पा-जहां उल्टा स्वास्तिक बनाने का है रिवाज

Published : Aug 27, 2025, 11:10 AM IST
Chintamani Ganesh Sehore

सार

Did You Know? सीहोर का 2000 साल पुराना चिंतामन गणेश मंदिर रहस्यों का खजाना है! कहा जाता है कि यहां भगवान गणेश स्वयं प्रकट हुए। भक्त उल्टा स्वास्तिक बनाकर मन्नत मांगते हैं, जो चमत्कारिक रूप से पूरी भी होती है-क्या ये सच है?

Ganesh Chaturthi 2025: मध्यप्रदेश का सीहोर जिला न सिर्फ अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां स्थित चिंतामन गणेश मंदिर (Chintaman Ganesh Mandir Sehore) अपनी दिव्यता और रहस्यों के कारण देशभर के भक्तों का आकर्षण केंद्र है। यह मंदिर भगवान गणेश के उन चार प्रसिद्ध स्वयंभू गणेश मंदिरों में से एक है, जहां भगवान गणेश मूर्ति रूप में स्वयं प्रकट हुए थे।

क्या सच में 2000 साल पुराना है चिंतामन गणेश मंदिर?

किंवदंती है कि इस मंदिर की स्थापना करीब दो हजार साल पहले उज्जैन के महान सम्राट राजा विक्रमादित्य ने की थी। कहा जाता है कि विक्रमादित्य को यह गणेश प्रतिमा स्वयं भगवान गणेश ने दी थी। पूजा और तपस्या से प्रसन्न होकर गणेश जी ने स्वयं को मूर्ति स्वरूप में प्रकट किया और यहीं विराजमान हो गए। यही कारण है कि यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था का अद्भुत केंद्र बन गया।

देशभर में कहां-कहां हैं चिंतामन गणेश की स्वयंभू प्रतिमाएं?

सीहोर का यह मंदिर उन चार स्वयंभू गणेश मंदिरों में शामिल है जिनमें से एक राजस्थान के रणथंभौर, दूसरा उज्जैन और तीसरा गुजरात के सिद्धपुर में स्थित है। विशेष बात यह है कि यहां भगवान गणेश की प्रतिमा का आधा हिस्सा जमीन के भीतर धंसा हुआ है, जो इसे और भी रहस्यमयी बनाता है।

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पार्वती नदी किनारे सिद्धपीठ क्यों है विशेष?

भोपाल से लगभग 40 किलोमीटर दूर सीहोर जिले के गोपालपुर गांव में पार्वती नदी के किनारे यह मंदिर स्थित है। इसे 84 सिद्ध गणेश मंदिरों में से एक माना जाता है। मंदिर का निर्माण पेशवाकालीन शैली में श्रीयंत्र के कोण पर हुआ है। यहां के गर्भगृह में भगवान शिव की मूर्ति भी है, जबकि भव्य शिखरों पर माता अंबिका, मां दुर्गा और मां शारदा विराजमान हैं।

क्या सच में स्वास्तिक बनाकर पूरी होती हैं मन्नतें?

इस मंदिर में एक अनोखी परंपरा प्रचलित है। यहां आने वाले श्रद्धालु मंदिर के पिछले हिस्से में उल्टा स्वास्तिक बनाकर अपनी मन्नत मांगते हैं। कहा जाता है कि जब मन्नत पूरी हो जाती है तो श्रद्धालु वापस आकर सीधा स्वास्तिक बनाते हैं। भक्तों का विश्वास है कि चिंतामन गणेश सभी चिंताओं और बाधाओं को दूर करते हैं।

मंदिर परिसर का आध्यात्मिक वैभव और दिव्यता

मंदिर परिसर में विशाल वटवृक्ष है, जहां कई देवी-देवता विराजमान हैं। इसके अलावा शीतला माता, भैरवनाथ और हनुमान जी के मंदिर भी हैं। वैदिक परंपराओं के अनुरूप सभा मंडप, परिक्रमा पथ और पवित्र मंगल कलश इस स्थान को और भी आध्यात्मिक बनाते हैं।

गणेश चतुर्थी पर क्यों है यहां विशेष आकर्षण?

गणेश चतुर्थी के अवसर पर हजारों श्रद्धालु इस मंदिर में आकर विशेष पूजन करते हैं। यहां की दिव्यता, प्राचीनता और भक्तों की अनगिनत कहानियां इसे भारत के सबसे रहस्यमयी और पूजनीय गणेश मंदिरों में से एक बनाती हैं।

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