अननैचुरल सेक्स मामले में MP के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी को बड़ी राहत, हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने के दिए आदेश

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी को बड़ी राहत राहत देते हुए एफआईआर रद्द करने के आदेश दिए हैं। उन पर घरेलू नौकर ने यौन शोषण करने के आरोप लगाते हुए पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया था।

 

 

विदिशा. मध्य प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी को राज्य के हाईकोर्ट ने कुकृत्य मामले में राहत दी है। कोर्ट ने एफआईआर को खारिज करने के आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जज संजय द्विवेदी ने अपने आदेश में कहा है कि छवि धूमिल करने के लिए प्रतिद्वंद्वियों के इशारे पर एफआईआर दर्ज करवाई है। जबकि जिस शख्स पर यह आरोप लगाए गए हैं वह प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो रखने वाले व्यक्ति हैं। जज ने आगे कहा कि अपराधिक कार्रवाई में स्पष्ट रूप से दुर्भावना के वाद दिखाई देता है।

अननैचुरल सेक्स की सीडी ने मध्य प्रदेश की राजनीति में मचाया था हड़कंप

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दरअसल, यह पूरा मामला साल 2013 का है, उस वक्त राघवजी मध्य प्रदेश सरकार में फाइनेंस मिनिस्टर थे। इस दौरान राघवजी की एक अश्लील सीडी वायरल हुई थी, जिसमें उन पर नौकर के साथ अननैचुरल सेक्स करने के आरोप लगे थे। इस घटना के बाद प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मच गया था। जिसके बाद सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने राघवजी से मंत्री पद का इस्तीफा ले लिया था। साथ ही उन्हें और उनके साथ इस कांड में नाम आने वाले लोगों को पार्टी से हटा दिया गया था। जिसके बाद 7 जुलाई 2013 को उनके ही नौकर ने राघवजी के खिलाफ अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न, जान से मारने की धमकी समेत दूसरे मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी।

शिवशंकर उर्फ मुन्ना पटेरिया वायरल की थी अननैचुरल सेक्स की सीडी

बता दें कि राघवजी की इस अननैचुरल सेक्स की सीडी को उनकी ही पार्टी के नेता शिवशंकर उर्फ मुन्ना पटेरिया ने वायरल किया था। खुद शिवशंकर ने सीडी को वीडिया को दी थी। इस एक सेक्स सीडी के बाद मध्य प्रदेश ही नहीं देश की राजनाति में तहलका मच गया था। जिसके बाद 7 जुलाई 2013 को उनके ही नौकर ने राघवजी के खिलाफ अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न, जान से मारने की धमकी समेत दूसरे मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी।

राघवजी पर 2010 से साल 2013 तक यौन शोषण करने के लगे थे आरोप

जबलपुर हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राघवजी के नौकर ने दस साल पहले शिकायत दर्ज कराते हुए कहा था कि राघवजी ने उसे नौकरी पर रखने के बदले अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया था। अगर वो ऐसा नहीं करता तो उसे घर छोड़ने के लिए कहा गया था। शिकायतकर्ता ने एफाआईआर में कहा था कि राघवजी ने उसका 2010 से मई 2013 तक यौन उत्पीड़न किया था। जज ने अब मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि तीन साल तक शिकायतकर्ता चुप रहा और आश्चर्यजनक रूप से याचिकाकर्ता के घर छोड़ने के बाद ही उसने शिकायत दर्ज कराई। इससे यह पता चलता है कि यह पूरा मामला बदले की भावना रखता है। यानि स्पष्ट रूप से दुर्भावना के वाद दिखाई देता है। अदालत ने शिकायतकर्ता के पिता के बयान को भी आधार बनाया है। पिता के बयान के मुताबिक उनके बेटे की मानसिक हालत ठीक नहीं रहती है।

 

 

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