MP News : राजस्व रिकॉर्ड रूम अब बैंक के लॉकर जैसा, IAS ने दिखाई इसकी फिल्म

Published : Oct 08, 2025, 05:59 PM IST
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सार

मध्य प्रदेश आयुक्त जनसंपर्क एवं तत्कालीन कलेक्टर जबलपुर दीपक सक्सेना ने एक लघु फिल्म के जरिए बताया कि राजस्व अभिलेखागार का वातावरण अब बैंक के लॉकर रूम जैसा हो गया है। 

Madhya Pradesh News : कलेक्टर्स-कमिश्नर्स कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन प्रथम सत्र में जबलपुर में राजस्व विभाग के रिकॉर्ड रूम को लेकर हुए नवाचार को उपयोगी तथा अनुकरणीय बताते हुए सराहा गया। इस नवाचार ने जनसामान्य के राजस्व रिकॉर्ड देखने के अनुभव को पूर्णता: बदल दिया है। आयुक्त जनसंपर्क एवं तत्कालीन कलेक्टर जबलपुर दीपक सक्सेना ने लघु फिल्म के प्रस्तुतिकरण में बताया कि जबलपुर के नवीनीकृत राजस्व अभिलेखागार का वातावरण अब बैंक के लॉकर रूम जैसा है। इस पहल से जनसामान्य के साथ रिकॉर्ड रूम के कर्मचारियों को भी गंदे-बदबूदार वातावरण से मुक्ति मिली है और वे रिकॉर्ड ढूंढ़ने की मशक्कत से मुक्त हुए हैं। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जबलपुर प्रशासन को दी बधाई

परिवारों की पीढ़ियों के लिए विशेष महत्व रखने वाला यह राजस्व रिकॉर्ड न केवल अब सुरक्षित है, अपितु रिकार्ड कहां रखा है, इसके संबंध में भी पारदर्शिता आयी है और आवश्यक जानकारियां अब सभी के लिए सुलभ हैं। इसके तैयार किये गये पोर्टल पर चंद एंट्रियों से पता चल जाता है कि रिकॉर्ड किस रैक-शेल्फ-बॉक्स में किस नंबर पर रखा हुआ है। आवेदक घर बैठे भी यह जानकारी प्राप्त कर सकता है और रिकॉर्ड रूम के बाहर लगाए गए कियोस्क से भी रिकार्ड में केस की लोकेशन का पता लगा सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जबलपुर प्रवास के दौरान जनसामान्य के जीवन को आसान बनाने वाले इस नवाचार की सराहना करते हुए जबलपुर जिला प्रशासन को इस पहल के लिए बधाई दी थी।

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फाइल निकालने के लिए अब चपरासी की जरूरत नहीं

आयुक्त जनसंपर्क सक्सेना ने बताया कि प्राय: राजस्व विभाग के रिकॉर्ड रूम की स्थिति सभी जगह एक समान रहती है। बस्तों में दम तोड़ती फाईलों के बारे में जानकारी प्राय: कुछ बाबुओं और भृत्यों तक सीमित रहती थी। जनसामान्य को अपना ही राजस्व रिकॉर्ड नहीं मिल पाता था। इस स्थिति में बदलाव के लिए रिकॉर्ड रूम को रेनोवेट किया गया। लोहे के रैक्स की मरम्मत कर उनका रंग-रोगन और रिकॉर्ड रखने के लिए कपड़े के बस्ते की जगह प्लास्टिक बॉक्स का उपयोग किया गया। हर केस फाईल को बस्ते से निकालकर प्लास्टिक की पन्नी में रखकर प्लास्टिक बॉक्स में जमाया गया। 

तहसील से लेकर कलेक्ट्रेट तक सब डिजिटल

बॉक्स पर रंगीन स्टीकर की मदद से तहसीलवार कलर कोडिंग की गई। बॉक्स पर वर्षवार, मदवार केस के डिटेल स्टीकर पर प्रिंट कर चिपकाए गए। रैक, शेल्फ, प्लास्टिक बॉक्स और उसमें रखी केस फाईल की लोकेशन के हिसाब से कोडिंग की गई। रैक और उसकी शेल्फ को यूनिक नंबर दिया गया। हर केस फाईल और प्लास्टिक बॉक्स पर लोकेशन का कोड नंबर स्टीकर से चिपकाया गया। केस फाईल की लोकेशन संबंधी सारी जानकारी ऑनलाइन एप्लीकेशन तैयार कर उस पर डाल दी गई। सुशासन की ओर इस बढ़े कदम से राजस्व रिकॉर्ड के आकांक्षी व्यक्तियों को रिकॉर्ड प्राप्त करने में सरलता और सुगमता की अनुभूति हो रही है।

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