मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और कमियों को दूर करने का प्रयास जारी है। जल्द राज्य में 50 मेडिकल कॉलेज होंगे। स्वास्थ्य और पोषण पर कलेक्टर्स के साथ की गई गहन चर्चा।
मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने की दिशा में राज्य सरकार तेजी से काम कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में नई स्वास्थ्य सुविधाओं की शुरुआत की जा रही है और कमियों को दूर करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने जिला कलेक्टर्स को निर्देश दिए कि आयुष्मान भारत योजना के लाभ सभी पात्र लोगों तक पहुंचें और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता व पहुंच को और आसान बनाया जाए।
50 मेडिकल कॉलेज का लक्ष्य: हर जिले को मिले इलाज की सुविधा
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि राज्य में वर्तमान में 30 से अधिक मेडिकल कॉलेज संचालित हैं, और जल्द ही यह संख्या 50 तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि कई कॉलेज पीपीपी मॉडल पर शुरू किए गए हैं ताकि हर जिले के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। जिन जिलों में मेडिकल कॉलेज के लिए भूमि आवंटन की प्रक्रिया चल रही है, वहां कार्य जल्द पूरा किया जाएगा।
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कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस: स्वास्थ्य और पोषण पर गहन चर्चा
मुख्यमंत्री डॉ. यादव कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस के पहले दिन दूसरे सत्र में “स्वास्थ्य एवं पोषण” विषय पर बोल रहे थे। इस सत्र में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य संदीप यादव ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, गैर-संचारी रोग (एनसीडी), क्षय (टीबी) उन्मूलन, और सिकल सेल उन्मूलन पर विस्तृत चर्चा की।
प्रमुख सचिव संदीप यादव ने कहा कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत किशोरियों, गर्भवती और धात्री महिलाओं की नियमित जांच सुनिश्चित की जाए। साथ ही जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत टीकाकरण, ANMOL 2.0 पर डेटा एंट्री और पीएम सुरक्षित मातृत्व अभियान में उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं की पहचान और सुरक्षित प्रसव पर जोर दिया गया।
पोषण और जनजागरूकता पर फोकस
सत्र में कहा गया कि छह माह तक केवल स्तनपान, कुपोषित बच्चों के प्रबंधन, और पोषण ट्रैकर के प्रभावी उपयोग को प्राथमिकता दी जाए। इसके साथ ही जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, और अन्य योजनाओं के भुगतान में समयबद्धता बनाए रखने के निर्देश दिए गए।
एनसीडी, टीबी और सिकल सेल उन्मूलन पर सख्त रणनीति
प्रमुख सचिव ने कहा कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, कैंसर जैसे रोगों की जांच अनिवार्य होनी चाहिए। निक्षय पोर्टल पर मरीजों की एंट्री, निक्षय मित्रों के माध्यम से पोषण सहायता, और डीबीटी भुगतान समय पर करने के निर्देश दिए गए। साथ ही सिकल सेल अभियान के तहत स्क्रीनिंग, हाइड्रोक्सीयूरिया दवा, और न्यूमोकोकल वैक्सीनेशन की व्यवस्था पर जोर दिया गया।
प्रमुख सचिव ने कहा कि जिला स्तर पर स्वास्थ्य विभाग और महिला-बाल विकास विभाग के बीच समन्वय बढ़ाया जाए। उन्होंने सुपोषित ग्राम पंचायतों, आंगनवाड़ी केंद्रों के संचालन, और स्थानीय खाद्य विविधता को बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई।
नवाचारों की मिसाल बने जिले
सत्र में बालाघाट, झाबुआ और मंदसौर जिलों ने अपने अभिनव मॉडल प्रस्तुत किए।
- बालाघाट ने मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की रणनीति साझा की।
- झाबुआ ने पोषण सुधार प्रयासों की जानकारी दी।
- मंदसौर ने “सम्पूर्ण स्वास्थ्य मॉडल” प्रस्तुत कर राज्य स्तर पर प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया।
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