मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के चलते पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है। सूत्रों के अनुसार पार्टी ने उन्हें पद छोड़ने के लिए कहा है।
भोपाल। मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इसके चलते कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की कुर्सी जा सकती है। सूत्रों के अनुसार पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने के लिए कहा है।
मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस को जीत का यकीन था। पार्टी को भरोसा था कि सीएम शिवराज सिंह चौहान की सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा बहुत अधिक है। इसलिए वह राज्य में सरकार बनाने जा रही है, लेकिन तीन दिसंबर को रिजल्ट इसके विपरीत आए। 230 सीटों के लिए चुनाव में बीजेपी ने 163 सीटों पर जीत हासिल कर ली। कांग्रेस को सिर्फ 66 सीटें मिलीं। भाजपा ने कांग्रेस से दोगुनी से भी अधिक सीटें जीत लीं।
एंटी-इनकम्बेंसी के भरोसे रह गई कांग्रेस
आंकड़ों ने साफ कर दिया कि स्थिति वैसी नहीं थी जैसी की कांग्रेस समझ रही थी। कमलनाथ के नेतृत्व में पार्टी को पक्का विश्वास था कि शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ बड़ी एंटी-इनकम्बेंसी है। पार्टी जीत के प्रति इतनी आश्वस्त थी कि मतगणना वाले दिन सुबह कमलनाथ को जीत की बधाई देने वाले पोस्टर सामने आ गए। दोपहर तक ऐसे पोस्टरों को हटाना पड़ा।
INDIA में सहयोगी हैं नाराज
कांग्रेस भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के भरोसे रही। इसके चलते पार्टी की प्रचार रणनीति में बढ़त की कमी थी। दूसरी ओर कमलनाथ ने विपक्षी गठबंधन INDIA में सहयोगी समाजवादी पार्टी के साथ 5-7 सीटें शेयर करने से इनकार कर दिया था। इसके चलते वह गठबंधन सहयोगियों के गुस्से के शिकार बन गए हैं।
नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख उमर अब्दुल्ला ने एमपी में कांग्रेस की हार पर कहा, " कांग्रेस जमीनी हालात समझ नहीं पाई। अगर उन्होंने अखिलेश यादव को 5-7 सीटें दे दी होती तो क्या नुकसान हो सकता था? अब उन्होंने क्या जीत लिया है? विधानसभा चुनावों में INDIA गठबंधन के नतीजों को देखते हुए, अगर भविष्य में स्थिति ऐसी रही तो हम जीत नहीं सकते।"
ममता बनर्जी बोलीं-वोटों के बंटवारे से हारी कांग्रेस
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, "कांग्रेस मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जीत सकती थी, लेकिन कुछ वोट INDIA के पार्टियों ने काट दिए। यह सच्चाई है। हमने सीट-बंटवारे की व्यवस्था का सुझाव दिया था। वोटों के बंटवारे के कारण वे हार गए।"
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कांग्रेस के सीनियर लीडर मनिकम टैगोर ने INDIA गठबंधन को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि हिंदी पट्टी में राज्य स्तर के नेताओं को इसे समझने की जरूरत है।