Kubereshwar Dham: पं. प्रदीप मिश्रा की कथा में 3 दिन में 6 मौतें-भीड़, भगदड़ और मौन आयोजक

Published : Aug 07, 2025, 03:19 PM ISTUpdated : Aug 07, 2025, 03:45 PM IST
Kubereshwar Dham death

सार

Pradeep Mishra Controversy: मध्यप्रदेश के कुबेरेश्वर धाम में कावड़ यात्रा के दौरान 6 श्रद्धालुओं की रहस्यमयी मौत से हड़कंप। मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया। क्या प्रशासन और आयोजकों की लापरवाही बनी मौत की वजह? सच अब भी धुंध में है... 

Kubereshwar Dham Deaths: मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कुबेरेश्वर धाम (Kubereshwar Dham) में चल रही कावड़ यात्रा (Kanwar Yatra) के दौरान बीते तीन दिनों में 6 श्रद्धालुओं की रहस्यमयी मौत ने राज्यभर में सनसनी फैला दी है। इस मामले पर मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग (MP Human Rights Commission) ने स्वत: संज्ञान लेते हुए आयोजकों और प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है। सवाल उठ रहे हैं-क्या ये केवल "स्वाभाविक मौतें" हैं या इन मौतों के पीछे छिपा है कोई बड़ा प्रशासनिक सच?

कौन हैं मृतक श्रद्धालु और क्या है मौत की रहस्यमयी वजह? 

मृतकों में गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश से आए श्रद्धालु शामिल हैं। अभी तक किसी की मौत के पीछे स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है। प्रशासन इन सभी को "स्वाभाविक मौत" बताकर पल्ला झाड़ रहा है। मृतकों की सूची:

  1. चतुर सिंह, गुजरात
  2. ईश्वर सिंह, हरियाणा
  3. दिलीप सिंह, छत्तीसगढ़
  4. जसवंती बेन, गुजरात
  5. संगीता गुप्ता, उत्तर प्रदेश
  6. उपेंद्र गुप्ता, उत्तर प्रदेश

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आयोजक प्रदीप मिश्रा की चुप्पी क्यों कर रही शक पैदा? 

पंडित प्रदीप मिश्रा, जिनकी कथाओं में लाखों की भीड़ उमड़ती है, इस हादसे पर अब तक चुप्पी साधे हैं। न तो उनकी समिति का कोई आधिकारिक बयान आया है, और न ही स्थानीय प्रशासन के किसी वरिष्ठ अधिकारी ने स्थिति स्पष्ट की है।

क्या यह हादसा प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा था? 

श्रद्धालुओं की मौतों को लेकर स्थानीय प्रशासन की चुप्पी और मौतों को “स्वाभाविक” बताना कई सवाल खड़े करता है। अब तक जिन 6 मृतकों की पहचान हुई है, वे गुजरात, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और हरियाणा जैसे राज्यों से आए हुए थे। परिजनों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं नहीं दीं, जिससे कई श्रद्धालुओं की जान चली गई।

पंडित प्रदीप मिश्रा पर पुराने विवाद क्यों लौट आए? 

यह पहली बार नहीं जब पंडित मिश्रा का नाम विवादों में आया हो। मेरठ (2024) की भगदड़, जशपुर (2025) में श्रद्धालुओं की पिकअप पलटना और गुंडों जैसे निजी सुरक्षाकर्मियों की शिकायतें पहले भी उठ चुकी हैं।

आगे क्या? कौन है जिम्मेदार? 

इन सबके बावजूद पंडित प्रदीप मिश्रा की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लेकिन हर मौत के साथ बढ़ रही है व्यवस्था की जिम्मेदारी। अगर समय रहते सबक नहीं लिया गया, तो अगला हादसा और भी बड़ा हो सकता है। मानवाधिकार आयोग का सुओ मोटो (Suo Moto) हस्तक्षेप बताता है कि मामला अब केवल धार्मिक आयोजन का नहीं, बल्कि जन अधिकारों के उल्लंघन का बन चुका है।  

 

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