MP पुलिस का खेला: 7 साल की इन्वेस्टिगेशन में कोई और नहीं मिला, तो इसके मर्डर में पिता-भाई को हत्यारा बना दिया, अब ये जिंदा निकली

यह केस मप्र पुलिस के लिए शर्मनाक है। इस लड़की की हत्या के इल्जाम में पुलिस ने उसके ही पिता और भाई को जेल भेज दिया था, लेकिन वो जिंदा निकली। पुलिस ने इस लड़की के गायब होने के 7 साल बाद केस को सुलझाने का दावा किया था, लेकिन वो भी अब झूठा निकला।

भोपाल. यह केस मप्र पुलिस के लिए शर्मनाक है। इस लड़की की हत्या के इल्जाम में पुलिस ने उसके ही पिता और भाई को जेल भेज दिया था, लेकिन वो जिंदा निकली। हैरानी की बात यह है कि पुलिस ने इस लड़की के गायब होने के 7 साल बाद केस को सुलझाने का दावा किया था, लेकिन वो भी अब झूठा निकला।

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यह मामला मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले का है। जहां 2014 में यह लड़की गायब हो गई थी। पुलिस की थ्योरी के हिसाब से उसकी हत्या हो गई थी। लेकिन अब जब ये जिंदा मिली है, पुलिस की इन्वेस्टिगेशन पर सवाल खड़े हो गए हैं।

कहानी 2014 में शुरू हुई, जब छिंदवाड़ा के जोपनला गांव की 14 वर्षीय लड़की कंचन उइके लापता हो गई। उसके पिता सन्नू उइके ने लोकल पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन काफी तलाश के बावजूद पुलिस कंचन का पता नहीं चला सकी।

करीब 7 साल की निर्थक खोज के बाद पुलिस ने 2021 में इस मामले को सुलझाने का दावा किया। पुलिस ने अपनी पीठ थपथपाई और कहा कि कंचन की हत्या उसके ही भाई ने कथित तौर पर अपने पिता की मदद से कर दी थी। यही नहीं, उसकी लाश को पास के एक खेत में आम के पड़े के नीचे गाड़ दिया था। पुलिस ने लाश निकाली और भाई और पिता को सलाखों के पीछे डाल दिया गया। अब जब जिंदा निकली, तब एक साल से जेल में बंद पिता को जमानत मिली।

बुधवार(29 मार्च) को कंचन जिंदा नजर आई। कंचन के परिवार के अनुसार, पुलिस ने गलती से कंचन का अवशेष समझकर उनके ही परिवार की कब्र से एक कंकाल को बाहर निकाला था। जून 2014 में कंचन के पिता सन्नू उइके ने उसके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसके बाद सात साल तक कंचन को तलाशा जाता रहा। जनवरी 2021 में पुलिस ने कंचन के पिता और भाई सोनू उइके को उसकी हत्या के लिए गिरफ्तार करते हुए मामला सुलझाने का दावा किया।

एसडीएम कोर्ट से अनुमति मिलने पर पुलिस ने उस क्षेत्र की खुदाई की थी, जहां कथित तौर पर कंचन के अवशेष दफनाए गए थे। उन्होंने खोपड़ी, हाथ और पैर के हिस्सों सहित 210 हड्डियां जब्त की थीं। उन्हें DNA टेस्ट के लिए भेजा गया था। पुलिस ने दावा किया था कि पूछताछ के दौरान कंचन के पिता और भाई ने अपना अपराध कबूल कर लिया था। इसमें कहा गया कि सोनू ने अपने पिता की सहायता से बहन को छड़ी से सिर पर हमला करके मार डाला था।

शर्मनाक बात यह है कि सागर में अत्यधिक बोझ वाली एफएसएल लैब से डीएनए रिपोर्ट आना बाकी थी, पुलिस ने अपनी थ्योरी में साबित कर दिया कि अवशेष कंचन के हैं। फिर पुलिस ने उसके भाई और पिता को गिरफ्तार कर लिया गया और उसकी हत्या का आरोप लगाया गया।

कंचन के जिंदा निकलने के इस मामले ने पेंच खड़ा कर दिया है, जिससे कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। तो फिर वह कंकाल किसका था, जिसे पुलिस ने खोदकर निकाला था? जांच के दौरान और क्या गलतियां हुई होंगी?

कंचन अब शादीशुदा है और दो बच्चों की मां है। उसने कहा कि अपने परिवार से असहमति के बाद घर छोड़ दिया था। पहले वो भोपाल आई और फिर उज्जैन में जाकर बस गई। उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि उसके भाई पर उसकी हत्या का आरोप लगाया गया था। जब वह संयोग से एक परिचित से मिली, तब उसे इसका पता चला। कंचन तब अपनी ससुराल जा रही थी। कंचन ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और मांग की कि उसके भाई को रिहा किया जाए और उसके परिवार को मुआवजा दिया जाए।

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