दिवाली के नए ‘क्रेज’ ने अंधकार फैला दिया, 122 बच्चे घायल, 14 की आंखों की रोशनी गई

Published : Oct 23, 2025, 05:03 PM IST
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सार

मध्य प्रदेश में दिवाली के दौरान देसी “कार्बाइड गन” से बड़ा हादसा, तीन दिन में 122 बच्चे घायल और 14 की आंखों की रोशनी चली गई। सोशल मीडिया पर वायरल “Firecracker Gun Challenge” बना खतरा, पुलिस ने की कार्रवाई।

हर दिवाली बाजारों में नए-नए पटाखों का ट्रेंड देखने को मिलता है, कहीं चकरी तो कहीं रॉकेट, लेकिन इस बार का ट्रेंड बन गया है जानलेवा। मध्य प्रदेश के कई जिलों में “कार्बाइड गन” या “देसी फायरक्रैकर गन” नाम की चीज़ बच्चों और युवाओं के बीच दीवाली का नया शौक बन गई है, जो अब मौत और विकलांगता का कारण बन रही है।

तीन दिन में 122 बच्चे अस्पताल में भर्ती, 14 ने खोई आंखों की रोशनी

मध्य प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आई रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन दिनों में 122 से ज़्यादा बच्चे आंखों में गंभीर चोटों के साथ अस्पतालों में भर्ती कराए गए हैं। इनमें से 14 बच्चों की आंखों की रोशनी पूरी तरह चली गई है। सबसे ज्यादा प्रभावित ज़िला विदिशा रहा, जहां खुलेआम इन देसी गनों की बिक्री हो रही थी, जबकि सरकार ने 18 अक्टूबर को ही इस पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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देसी “कार्बाइड गन” का खतरनाक खेल

150 से 200 रुपये में बिकने वाली ये देसी गन खिलौने की तरह दिखती है, लेकिन विस्फोट बम जैसा करती है। बच्चे प्लास्टिक या टिन पाइप में गनपाउडर, माचिस की तीलियों का सिरा और कैल्शियम कार्बाइड भरते हैं और उसमें आग लगाकर “गन” चलाते हैं। विस्फोट के समय निकलने वाली गर्म गैस और धातु के टुकड़े सीधे चेहरे और आंखों पर लगते हैं।

भोपाल की 17 वर्षीय नेहा, जो अब हमीदिया अस्पताल में भर्ती है, ने बताया —

“हमने यह देसी गन खरीदी थी, जलाते ही धमाका हुआ और मेरी आंख झुलस गई। अब मैं कुछ नहीं देख पा रही हूं।”

इसी तरह राज विश्वकर्मा नामक किशोर ने बताया कि उसने सोशल मीडिया पर वीडियो देखकर घर पर ऐसी गन बनाई, जो चेहरे पर फट गई और उसकी एक आंख चली गई।

पुलिस की कार्रवाई और डॉक्टरों की चेतावनी

विदिशा पुलिस ने इस मामले में अब तक 6 लोगों को गिरफ्तार किया है, जो इन गनों को बेच रहे थे। इंस्पेक्टर आर.के. मिश्रा ने बताया,

“इन देसी कार्बाइड गनों को बेचने या प्रमोट करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर के अस्पतालों में आई वॉर्ड बच्चों से भरे पड़े हैं। सिर्फ भोपाल के हमीदिया अस्पताल में 72 घंटे में 26 बच्चों को भर्ती किया गया है।

डॉ. मनीष शर्मा (सीएमएचओ, हमीदिया अस्पताल) ने कहा,

“यह खिलौना नहीं, बल्कि एक विस्फोटक यंत्र है। इससे आंखों की पुतलियां फट जाती हैं और स्थायी अंधापन हो सकता है।”

सोशल मीडिया बना खतरे का नया अड्डा

पुलिस और डॉक्टरों का कहना है कि Instagram Reels और YouTube Shorts पर वायरल हो रही “Firecracker Gun Challenge” के वीडियो इस खतरनाक ट्रेंड को बढ़ावा दे रहे हैं। वीडियो में किशोर इन गनों को चलाते हुए दिख रहे हैं, जिससे हजारों व्यूज़ और लाइक्स मिल रहे हैं, लेकिन नतीजा जिंदगी भर का अंधेरा बन रहा है।

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