
MP Irrigation Expansion: क्या प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ताकत देने का रास्ता खेतों से होकर निकलता है? मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का मानना है कि हां। इसी सोच के साथ उन्होंने साफ किया है कि आने वाले तीन सालों में प्रदेश में सिंचाई क्षेत्र को 100 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। यह न सिर्फ किसानों की पैदावार और आय बढ़ाएगा, बल्कि उद्योग और ऊर्जा उत्पादन जैसे क्षेत्रों को भी स्थिर जल आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।
मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक में कहा कि कृषि, उद्योग, पेयजल और ऊर्जा उत्पादन- इन सभी क्षेत्रों की रीढ़ पानी है। फिलहाल प्रदेश में शासकीय स्रोतों से 52 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हो रही है, लेकिन इसे दोगुना करना ही वास्तविक बदलाव लाएगा। लक्ष्य है कि अगले तीन वर्षों में यह दायरा 100 लाख हेक्टेयर तक पहुंचे।
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बैठक में अंतर्राज्यीय नदी जोड़ो परियोजनाओं पर भी चर्चा हुई। केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना और संशोधित पार्वती-काली-सिंध-चंबल लिंक परियोजना को मुख्यमंत्री ने बेहद उपयोगी बताया। उनका कहना है कि इन योजनाओं के लागू होने से प्रदेश के लगभग आधे जिलों की स्थिति बदल जाएगी। डॉ. यादव ने याद दिलाया कि नदियों को जोड़ने का सपना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे बढ़ा रहे हैं। खास बात यह है कि केंद्र सरकार ऐसी परियोजनाओं के लिए 90% वित्तीय सहयोग उपलब्ध करा रही है।
बैठक में शिप्रा नदी पर चल रहे घाट निर्माण और शुद्धिकरण कार्यों की समीक्षा भी की गई। जानकारी दी गई कि लगभग 30 किलोमीटर तक घाट निर्माण का कार्य 2027 तक पूरा कर लिया जाएगा। सिंहस्थ 2028 के दौरान यहां एक दिन में करीब 5 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे। इसके साथ ही शिप्रा पर बैराज निर्माण कार्यों की प्रगति भी देखी गई।
अधिकारियों ने बताया कि रबी 2023-24 में प्रदेश में 44.56 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित थी, जो रबी 2025-26 में बढ़कर 52.06 लाख हेक्टेयर हो गई। यानी पिछले डेढ़ साल में 7.50 लाख हेक्टेयर का विस्तार हुआ है। इसमें नर्मदा घाटी विकास विभाग ने 5.11 लाख हेक्टेयर और जल संसाधन विभाग ने 2.39 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई से जोड़ा है। आने वाले पांच साल में 200 करोड़ रुपये से अधिक लागत की 38 परियोजनाएं पूरी होंगी, जिनसे 17 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र सिंचाई के दायरे में आएगा। इस साल भी राजगढ़, अशोकनगर, दमोह, रीवा और बैतूल जिलों की परियोजनाओं से 2 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई संभव होगी।
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