एक ऐसा मंदिर जहां हर दिन होता है भगवान का सूर्य तिलक, 280 साल पुरानी है परंपरा

इस मंदिर का निर्माण 1745 में हुआ था। रोजाना सूर्य तिलक की परंपरा भी 280 साल पुरानी है। रामनवमी के अवसर पर सुबह-सुबह भगवान राम का अभिषेक किया जाता है और जन्मोत्सव आरती और बधाई गीत गाए जाते हैं।

 

Satyam Bhardwaj | Published : Apr 17, 2024 8:38 AM IST

Ram Lalla Surya Tilak : रामनवमी के शुभ अवसर पर अयोध्या में रामलला का सूर्य तिलक किया गया है। दो दर्पण, तीन लेंस, पीतल के पाइप से होकर सूर्य की किरणें गर्भगृह तक ले जाई गईं. सूर्य तिलक का यह नजारा अद्भुत था. हर साल रामनवमी पर ही रामलला का सूर्य तिलक किया जाएगा लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि भारत में एक ऐसा भी मंदिर है, जहां हर दिन भगवान राम का सूर्य तिलक किया जाता है। यह परंपरा आज नहीं बल्कि 280 साल से चली आ रही है। आइए जानते हैं इस खास मंदर के बारें में...

यहां रोजाना होता है भगवान राम का सूर्य तिलक

मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के पेढ़ी चौराहे के पास महाराष्ट्रीयन समाज के समर्थ मठ श्रीराम मंदिर है। जहां दर्पण की मदद से हर दिन मंदिर में सूर्य की किरणें पहुंचाई जाती हैं और भगवान राम का सूर्य तिलक किया जाता है। मंदिर के पुजारी विनोद देशपांडे मीडिया से बातचीत करते हुए बताते हैं कि अयोध्या के संत राजाराम महाराज को देशभर में श्रद्धालुओं ने श्रीराम और हनुमान जी के 56 मंदिर बनवाकर दान में दिए थे। जिसमें से उन्होंने विदिशा का श्रीराम मंदिर और जलगांव की पारोला तहसील के हनुमान मंदिर को ही अपने पास रखा था।

280 साल पुरानी परंपरा

इस मंदिर का निर्माण 1745 में हुआ था। रोजाना सूर्य तिलक की परंपरा भी 280 साल पुरानी है। मंदिर निर्माण के बाद संत राजाराम महाराज को दान कर दिया गया था। मंदिर में रोज शाम 4 बजे से महिला मंडल रामायण का पाठ करता है। रामनवमी के अवसर पर सुबह-सुबह भगवान राम का अभिषेक किया जाता है और जन्मोत्सव आरती और बधाई गीत गाए जाते हैं।

हर दिन इस तरह भगवान राम का सूर्य तिलक

विदिशा का श्रीराम मंदिर उत्तरमुखी है। दोपहर में 12 बजे जब भगवान की आरती होती है तब उस समय सूर्य मंदिर के ठीक ऊपर ही होते हैं। मंदिर में श्रीराम की प्रतिमा तक सूर्य की किरणें पहुंचाने के लिए मंदिर से बाहर बने चबूतरे का इस्तेमाल किया जाता है। जहां एक श्रद्धालु मंदिर के ठीक सामने एक फिट चौंड़ा और ढाई फीट लंबा दर्पण लेकर खड़ा होता है। इसी दर्पण में सूर्य की किरणें उतारकर मंदिर के अंदर तक पहुंचाता है, यह प्रक्रिया करीब 15 मिनट तक चलती है। जिसका नजारा बेहद अद्भुत होता है।

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