25 नवंबर की रात शहडोल जिले के ब्योहारी में पटवारी प्रसन्न सिंह (45) ड्यूटी के दौरान हत्या कर दी गई। पटवारी रेत माफियाओं रो रोकने की कोशिश कर रहे थे। तभी गुंडों ने उनके ऊपर ट्रैक्टर चढ़ाकर मौत के घाट उतार दिया।
रीवा (मध्य प्रदेश). 'पापा अगर बेईमान होते तो आज जिंदा होते...वो मरते नहीं, पापा गुंडों को पकड़ते थे...लेकिन पुलिसवाले कमीशन लेकर छोड़ देते थे। दरअसल, यह दर्दभरी दांस्ता मध्य प्रदेश के रीवा में रहने वाली एक मासूम बेटी दीया सिंह की है। जिसके पिता पटवारी प्रसन्न सिंह की अवैध खनन करने वाले दबंगों ने हत्या कर दी। उन्होंने रेत माफिया को रोकने की कोशिश तो आरोपियों ने उन्हें ट्रैक्टर से रौंद डाला।
पुलिसवाले चाहते तो जिंदा होते मेरे पापा...
दरअसल, शहडोल जिले के राजस्व विभाग ने पटवारी प्रसन्न को रात में गश्त करने का आदेश दिया था। वो अकेले ही खनन इलाके में तैनात थे। कहने के बाद भी विभाग ने पुलिस फोर्स नहीं उपलब्ध कराई थी। जब 25 नवंबर की रात शहडोल जिले के ब्योहारी में पटवारी प्रसन्न सिंह (45) ड्यूटी कर रहे थे। इसी दौरान रेत माफिया ट्रैक्टर लेकर आए...तो पटवारी ने उन्हें रोका, लेकिन वर रुके तो नहीं उल्टा उनकी कुचलकर हत्या कर दी।
पिता की कहानी बयां करते-करते डबडबां गई बेटी की आंखे
अब जब पटवारी प्रसन्न का शव उनके घर पहुंचा तो कोहराम मच गया। पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी और बच्चे बिलख रहे हैं। मृतक की बड़ी बेटी मीडिया से बात करते हुए रोए जा रही थी। दीया सिंह का कहना था कि पापा मुझसे वादा करके गए थे। लेकिन वो आखिरी वादा भी पूरा नहीं कर सके वो लौटकर घर नहीं आए। बता दें कि दीया सिंह प्रसन्न सिंह बघेल की बड़ी बेटी है। उसकी उम्र केवल 14 साल है। लेकिन इस मुश्किल घड़ी में वो ही अपने परिवार को संभाल रही है।
जान का खतरा था...फिर भी गए ड्यूटी पर
दीया सिंह ने अपने पिता की हत्या की वजह एक साजिश भी बतई है। दीया का कहना है कि -मेरे पापा ईमानदार थे, लेकिन इससे पुलिसवालों नाराजगी थी। पापा जब अवैध खनन करने वाली गाड़ियां रोकते तो पुलिस उन्हें कमीशन लेकर छोड़ देती थी। बेटी दीया ने बताया, जहां पापा की ड्यूटी होती थी वहां के रेत तस्करी के वीडियो दिखाया करते थे। उनको जान का खतरा था...पुलिस को बता चुके थे। लेकिन पुलिस ने कोई सुरक्षा नहीं दी। इतना ही नहीं प्रसन्न सिंह की जिस दिन हत्या हुई उसी दिन उन्होंने ड्यूटी पर जाने से पहले अपनी पत्नी और बच्चों से बात की थी। साथ ही खतरे का अंदेशा जताया था।
सेना से रिटायर्ड होकर फर्ज समझ कर रहे थे ड्यूटी
बता दें कि प्रसन्न सिंह इंडियन आर्मी में तैनात थे। जहां उन्होंने बॉर्डर पर तैनात होकर देश सेवा की। वहीं रिटायर्ड होकर आए तो सोन नदी के रेत की रखवाली करने लगे। उन्हें किसी से डर नहीं लगता था। इसलिए वो अकेले ही वहां तैनात रहते थे। प्रसन्न सिंह घर में अकेले कमाने वाले सदस्य थे।प्रसन्न सिंह की दो बेटियों दीया और समृद्धि हैं तो वहीं दो जुड़वां बेटे प्रतीक-प्रत्यक्ष हैं, वहीं पत्नी गुंजा सिंह का रो-रोकर बुरा हाल है। इस परिवार को संभालने की जिम्मेदारी उनकी बड़ी बेटी दीया सिंह के कंधों पर है।