महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष को एक और झटका, 'नेता प्रतिपक्ष' का पद रहेगा खाली

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणामों ने महाविकास अघाड़ी को करारा झटका दिया है। महायुति की बड़ी जीत के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त रहने की संभावना है, क्योंकि किसी भी विपक्षी दल के पास आवश्यक संख्याबल नहीं है।

Maharashtra Assembly election results: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद विपक्षी महा विकास अघाड़ी को जबर्दस्त झटका लगा है। महायुति गठबंधन को बड़ी जीत के साथ पांच साल तक बिना विपक्ष के ही राज करने का मौका मिलने जा रहा है। हालांकि, 10 साल बाद संसद में विपक्ष का नेता तो मिल गया है लेकिन इस बार महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कोई नहीं होगा। जनादेश सामने आने के बाद विपक्ष के पास आवश्यक आंकड़ा तक नहीं है जिससे नेता प्रतिपक्ष को मान्यता मिल सके।

किस दल को मिली कितनी सीटें...

महाराष्ट्र में 288 विधानसभा की सीटें हैं। महायुति गठबंधन को इस बार 230 सीटों पर जीत हासिल हुई है। इसमें बीजेपी को 132, शिंदे की शिवसेना को 57 और अजीत पवार वाली एनसीपी को 41 सीटें मिली हैं। जबकि महा विकास अघाड़ी को करीब 50 सीटें मिली हैं। इसमें शिवसेना यूबीटी को 20 सीट, कांग्रेस को 16 और एनसीपी-एसपी को 10 सीटें तो समाजवादी पार्टी को 2 सीट मिली है। अन्य को 10 सीटें मिली है। अन्य में जनसुराज्य शक्ति यानी जेएसएस को 2 सीट, राष्ट्रीय युवा स्वाभिमान पार्टी, राष्ट्रीय समाज पक्ष, एआईएमआईएम, सीपीएम, पीडब्ल्यूपीआई, राजर्षि शाहू विकास अघाड़ी को एक-एक सीट मिली है। एक निर्दलीय भी विधायक बना है।

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नेता-प्रतिपक्ष बनने के लिए क्या है अर्हता? क्या है नियम?

विधायी नियमों के अनुसार, किसी भी सदन के कुल सदस्यों की संख्या का दस प्रतिशत कम से कम नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए चाहिए। यानी महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें हैं तो इसका दस प्रतिशत कम से कम 29 सीटें चाहिए। लेकिन विधानसभा रिजल्ट के अनुसार, किसी भी विपक्षी दल के पास फिलहाल यह संख्या नहीं है।

चुनाव आयोग के अनुसार, शिवसेना (यूबीटी) ने 20 सीटें जीती है। जिसे अपने विधायक को नेता प्रतिपक्ष बनवाने के लिए 9 विधायक और चाहिए। कांग्रेस ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की है। एनसीपी (एसपी) ने 10 सीटें जीती है। इन तीनों प्रमुख विपक्षी दलों में किसी भी दल के पास 29 विधायकों की संख्या नहीं है।

नियम यह कहते हैं कि विपक्ष का नेता किसी भी एक ही प्रमुख विपक्षी दल का होता है लेकिन किसी भी दल के पास यह संख्या नहीं है। विपक्षी गठबंधन के विधायकों की संख्या को मिला दिया जाए तो यह संख्या पूरी हो जाएगी लेकिन नियम में ऐसा नहीं है। ऐसे में इस बार महाराष्ट्र में विधानसभा बिना विपक्षी नेता के ही संचालित होगा।

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