शिवसेना यूबीटी की रैली में कथित तौर पर दिखा इस्लामिक झंडा, सोशल मीडिया पर मचा बवाल, देखें वीडियो

हिंदूवादी समर्थक इस वीडियो को शेयर कर उद्धव ठाकरे को बाला साहेब ठाकरे की विरासत को न बचाने का आरोप लगा रहे हैं। कई उनकी ओवैसी से तुलना कर रहे हैं।

Flag row in Shiv Sena UBT rally: लोकसभा चुनाव धीरे धीरे अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है, उसी के साथ राजनैतिक तापमान भी चरम पर पहुंचने लगा है। महाराष्ट्र में शिवसेना यूबीटी की रैली में कथित इस्लामिक झंडा का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें शिवसेना यूबीटी की रैली में हरा झंडा लहराते हुए दिखाया गया है। हिंदूवादी समर्थक इस वीडियो को शेयर कर उद्धव ठाकरे को बाला साहेब ठाकरे की विरासत को न बचाने का आरोप लगा रहे हैं। कई उनकी ओवैसी से तुलना कर रहे हैं। एशियानेट न्यूज, इस वीडियो की सच्चाई का कोई दावा नहीं करता है।

 

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दरअसल, सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे वीडियो में मुंबई के चेंबुर से शिवसेना यूबीटी के कैंडिडेट अनिल देसाई की रैली दिखाई जा रही है। रैली में मौजूद भीड़ में एक व्यक्ति हरा झंडा लहराते हुए चल रहा है। इस झंडे को इस्लामिक झंडा होने का दावा किया जा रहा है।

 

 

सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि शिवसेना यूबीटी बाला साहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे की पार्टी है लेकिन हिंदूवादी पार्टी ऐसे कैसे वोट के लिए ऐसा कर सकती है। यूजर्स कह रहे हैं कि ठाकरे परिवार हमेशा से हिंदुत्व और हिंदुओं की बात करता रहा है लेकिन ऐसा परिवर्तन कैसे हो गया।

 

 

एक यूजर ने लिखा: उद्धव ठाकरे की शिव सेना रैली में इस्लामिक झंडा। मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि इस पार्टी का गठन बालासाहेब ठाकरे ने किया था। खुशी है कि वह इस पतन को देखने के लिए जीवित नहीं हैं। उद्धव महाराष्ट्र का ओवेसी बन गया है। उनको अपनी पार्टी का नाम बदलने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए। वह शिव जी के नाम का उपयोग करने के लायक नहीं है।

कट्टर हिंदूवादी पार्टी के रूप में उभरी थी शिवसेना

मूल रूप से फायरब्रांड नेता बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना, कट्टर हिंदुत्व समर्थक रुख के साथ महाराष्ट्र की राजनीति में एक ताकत के रूप में उभरी थी। लेकिन बाला साहेब ठाकरे के निधन के बाद पार्टी की कमान उनके बेटे उद्धव ठाकरे को मिली। उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई। 2022 में शिवसेना से एकनाथ शिंदे ने बगावत करके बीजेपी से हाथ मिला लिया। इसके बाद वह शिवसेना के एक गुट के साथ बीजेपी से मिलकर मुख्यमंत्री हैं। हालांकि, चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे की शिवसेना को ही असली शिवसेना करार दिया है।

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