मूंगफली विक्रेता का गहरा खेल, 2000 के नोट बदलने वाला रैकेट का सनसनीखेज खुलासा

Published : Dec 30, 2024, 11:41 AM IST
Peanut seller

सार

महाराष्ट्र के नागपुर में पुलिस ने 2000 रुपये के नोट बदलने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसका संचालन एक मूंगफली बेचने वाले विक्रेता ने किया था। यह रैकेट रिज़र्व बैंक से नोट बदलने के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल करता था।

नागपुर। महाराष्ट्र के नागपुर में पुलिस ने 2000 रुपये के नोट बदलने वाले एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है। हैरान करने वाली बात यह है कि इस रैकेट का मास्टरमाइंड एक साधारण मूंगफली विक्रेता है। यह रैकेट रिज़र्व बैंक से 2000 रुपये के नोटों को बदलवाने के लिए आधार कार्ड का उपयोग करता था और बदले में लोगों को कमीशन दिया जाता था।

क्या था रैकेट का तरीका?

नंदलाल मौर्य नामक मूंगफली विक्रेता, जो संविधान चौक क्षेत्र में अपना ठेला लगाता है, ने गरीब पुरुषों और महिलाओं को कमीशन पर काम पर रखा था। यह लोग अपना आधार कार्ड रिज़र्व बैंक में जमा कर 2000 रुपये के नोटों को 500 रुपये के नोटों में बदलते थे। प्रत्येक लेन-देन पर उन्हें 300 रुपये का कमीशन मिलता था। मौर्य खुद भी इस प्रक्रिया का हिस्सा था और उसने पहले 10 नोटों का सफलतापूर्वक आदान-प्रदान किया, जिसके बाद उसने रैकेट को चलाना शुरू कर दिया।

गिरफ्तारी और मामले का खुलासा

पुलिस ने मौर्य के साथ-साथ तीन अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें रोहित बावने (34), किशोर बहोरिया (30), और अनिल जैन (56) शामिल हैं। जैन, जो मध्य प्रदेश के जबलपुर का निवासी है, रैकेट का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। पुलिस के अनुसार, जैन ने मौर्य को 2000 रुपये के 10 नोट बदलने पर 200 रुपये का कमीशन देने का वादा किया था।

आगे की जांच और घटनाक्रम

शनिवार को पुलिस ने मौर्य के ठिकाने पर छापा मारा और 60,000 रुपये नकद बरामद किए, जिनमें 500 रुपये के 120 नोट शामिल थे। रोहित बावने से 62,500 रुपये और किशोर बहोरिया से 80,000 रुपये बरामद हुए। प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह रैकेट अनिल जैन के निर्देशन में चल रहा था, जो इन पुराने नोटों को इकट्ठा कर मौर्य की मदद से 500 रुपये के नोटों में बदलवाता था।

रिज़र्व बैंक की नीति का दुरुपयोग

भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक ने 19 मई 2023 को 2000 रुपये के नोटों को प्रचलन से वापस लेने की घोषणा की थी। इसके बाद से आरबीआई ने नोट बदलने के लिए विशेष व्यवस्था की थी। इस रैकेट ने उसी व्यवस्था का दुरुपयोग किया और बड़े पैमाने पर नोटों का आदान-प्रदान किया।

आगे की कार्रवाई

पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस रैकेट में और कौन लोग शामिल हैं और कितने पैसे अब तक बदले जा चुके हैं। यह कार्रवाई वित्तीय अपराधों पर लगाम लगाने और आरबीआई की नीति के सही उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

 

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