मुंबई: एक डॉक्टर ने एक दृष्टिहीन दंपति के बच्चे को 50 हजार रुपये में बेच दिया। इस मामले में पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। घटना महाराष्ट्र के कल्याण के अंबिवली में एक नर्सिंग होम में हुई। दृष्टिहीन दंपति के पहले से ही दो बच्चे थे और पत्नी तीसरी बार गर्भवती थी। लेकिन दंपति तीसरा बच्चा नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने गर्भपात कराने की सोची। लेकिन महिला गर्भपात कराने की स्थिति से आगे निकल चुकी थी। ऐसे में डॉक्टर ने दंपति को बच्चे को जन्म देने और उसे गोद देने की सलाह दी। इसके बदले में अस्पताल उनके सभी मेडिकल खर्चों का वहन करेगा और उनके दो बच्चों की शिक्षा में भी मदद करेगा।
इस दिव्यांग दंपति की पांच साल की बेटी और तीन साल का बेटा है। दंपति पश्चिम कल्याण के मोहने में रहता था। पति मुंबई की ट्रेनों में भीख मांगने और छोटे-मोटे काम करके परिवार का भरण-पोषण करता था। पत्नी को 5 महीने बाद पता चला कि वह गर्भवती है। लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण दंपति मोहने के गणपति नर्सिंग होम गए और डॉक्टर से गर्भपात कराने का अनुरोध किया।
डॉक्टर अनुराग धोनी ने दंपति को बच्चे को जन्म देने और उसे अपने हवाले करने की सलाह दी। डॉक्टर अनुराग ने दंपति से कहा कि वह बच्चे को अपने एक रिश्तेदार को दे देंगे, जिनके बच्चे नहीं हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया कि माता-पिता को उम्मीद थी कि इस बच्चे से उनके दो बच्चों का भविष्य बेहतर हो सकता है, इसलिए उन्होंने डॉक्टर की सलाह मान ली।
23 अगस्त को महिला प्रसव पीड़ा के कारण अस्पताल गई। लेकिन डॉक्टर ने महिला के साथ आए सभी लोगों को घर भेज दिया और कहा कि अभी प्रसव नहीं होगा, एक दिन और इंतजार करना होगा। बाद में रात करीब 11.30 बजे महिला की डिलीवरी हुई। लेकिन इस दौरान अस्पताल में महिला के अलावा कोई नहीं था। यहां तक कि माता-पिता को बच्चे का चेहरा तक नहीं दिखाया गया। 23 अगस्त को बच्चे का जन्म हुआ था। 8 से 10 दिनों तक बच्चे को माता-पिता के पास नहीं लाया गया और डॉक्टर ने अस्पताल का बिल भी मांगा।
8 दिनों तक हमने डॉक्टर से अपने बच्चे को देने की भीख मांगी। जब हमने पहली बार पूछा तो डॉक्टर ने कहा कि जन्म के समय बच्चे के रोने के कारण उसे निगरानी में रखा गया है। इसके बाद दोबारा पूछने पर डॉक्टर ने बताया कि बच्चे को 50 हजार रुपये में किसी और को बेच दिया गया है। इतना ही नहीं डॉक्टर ने हमें चिल्लर पकड़ा दिया। हमने कहा कि हमें पैसे नहीं बच्चा चाहिए लेकिन डॉक्टर ने हमारी एक न सुनी। इसके बाद पीड़ित दंपति ने जिला बाल संरक्षण इकाई से संपर्क कर डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।