प्रकाश सिंह बादल के 15 किस्से-1970 के सबसे कम उम्र में बने थे CM, मोदी तक पैर छूते थे, कुछ विवादों में भी रहा 'पंजाब दा पुत्तर'
चंडीगढ़. पंजाब के 5 बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल के निधन से राजनीति के एक युग का अंत हो गया है। 95 साल की उम्र में 25 अप्रैल को दुनिया छोड़ने वाले बादल के सम्मान में केंद्र सरकार दो दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।
Contributor Asianet | Published : Apr 26, 2023 3:07 AM IST / Updated: Apr 26 2023, 10:10 AM IST
चंडीगढ़. पंजाब के 5 बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल के निधन से राजनीति के एक युग का अंत हो गया है। 95 साल की उम्र में 25 अप्रैल को दुनिया छोड़ने वाले बादल के सम्मान में केंद्र सरकार दो दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। बादल 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव में हार गए थे। यह उनके लंबे राजनीतिक करियर की पहली हार थी।
फोटो क्रेडिट-indianhistorypics/ प्रकाश सिंह बादल पत्नी और बेटे के साथ 1970
शिरोमणि अकाल दल ने विधानसभा चुनाव-2022 में प्रकाश सिंह बादल को पंजाब के मुक्तसर जिले से मैदान में उतारा था। वे बेशक हार गए थे, लेकिन देश में चुनाव लड़ने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति होने का रिकॉर्ड बुक में दर्ज हो गया।
बठिंडा जिले के बादल गांव के सरपंच बनने के साथ शुरू हुए लंबे राजनीतिक करियर में वे विधानसभा-2022 तक 14वीं बार चुनाव लड़े।
यह तस्वीर पीएम मोदी ने tweet की है
पंजाब की राजनीति के बड़े बुजुर्ग प्रकाश सिंह बादल पहली बार 1970 में मुख्यमंत्री बने थे। एक गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया, जिसने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। वह 1977-80, 1997-2002, 2007-12 और 2012-2017 में भी सीएम रहे।
प्रकाश सिंह बादल 11 बार विधायक रहे। केवल दो बार राज्य विधानसभा का चुनाव हारे। 1977 में, वह केंद्र में कृषि मंत्री के रूप में मोरारजी देसाई की सरकार में थोड़े समय के लिए शामिल हुए।
2008 में बादल ने SAD की बागडोर बेटे सुखबीर सिंह बादल को सौंपी। वे 1995 से इसके चीफ थे।
8 दिसंबर, 1927 को मलोट के पास अबुल खुराना में जन्मे बादल ने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था।
फोटो-अटलबिहारी वाजपेयी के साथ बादल
प्रकाश सिंह बादल 1957 में कांग्रेस के टिकट पर मलोट से MLA बने। 1969 में उन्होंने अकाली दल के टिकट पर गिद्दड़बाहा विधानसभा सीट से जीत हासिल की।
जब तत्कालीन मुख्यमंत्री गुरनाम सिंह 1970 में कांग्रेस में शामिल हो गए, तो एसएडी ने फिर से संगठित होकर जनसंघ के समर्थन से सरकार बनाई।
प्रकाश सिंह बादल 1970 में देश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने, भले ही गठबंधन सरकार एक साल से कुछ ज्यादा ही चली हो।
फोटो-अपने पोते जयराज बरार के साथ प्रकाश सिंह बादल
2017 में जब प्रकाश सिंह बादल ने सीएम के रूप में अपना आखिरी कार्यकाल समाप्त किया, तो वह उस पद को संभालने वाले सबसे उम्रदराज लोगों में से थे।
प्रकाश सिंह बादल की पार्टी ने 2020 में केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को लेकर BJP से नाता तोड़ लिया।
कृषि कानूनों के विरोध में प्रकाश सिंह बादल ने 2015 में मिला पद्म विभूषण पुरस्कार लौटा दिया था।
2011 में अकाल तख्त ने उन्हें पंथ रतन फख्र-ए-कौम या प्राइड ऑफ द फेथ की उपाधि से सम्मानित किया। इसे लेकर उनकी आलोचना हुई थी। बादल की आखिरी तस्वीरों में से एक