
जयपुर. राजस्थान में हाल ही में आयोजित स्टेनोग्राफर और निजी सहायक ग्रेड सैकंड की भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थियों की अनुपस्थिति ने सभी को चौंका दिया है। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा 5 अक्टूबर को आयोजित इस परीक्षा में 72 फीसदी अभ्यर्थी परीक्षा देने नहीं आए, जो कि एक रिकॉर्ड है। यह घटना न केवल सरकारी नौकरी के प्रति लोगों की रुचि पर सवाल उठाती है, बल्कि शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रति वर्तमान परिवेश का भी संकेत देती है।
परीक्षा देने पहुंचे सिर्फ 28.09 प्रतिशत ही स्टूडेंट
परीक्षा दो चरणों में आयोजित की गई थी, जिसमें पहले चरण की परीक्षा सुबह 9 बजे शुरू हुई। इस चरण में केवल 28.09 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज की गई, जो कि अत्यंत निराशाजनक है। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि इस तरह की उपस्थिति से परीक्षा केंद्रों की क्षमता का भी उचित उपयोग नहीं हो सका। उन्होंने अभ्यर्थियों से अपील की कि वे तब ही आवेदन करें जब वे परीक्षा में शामिल होने के लिए आश्वस्त हों।
166,000 अभ्यर्थियों ने किया था आवेदन और पहुंचे मात्र 47,000
इस परीक्षा में कुल 166,000 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, लेकिन उनमें से मात्र 47,000 अभ्यर्थी ही परीक्षा में उपस्थित हुए। इसका मतलब यह है कि लगभग 119,000 छात्र अनुपस्थित रहे, जो कि राजस्थान के इतिहास में अनुपस्थिति का एक नया रिकॉर्ड स्थापित करता है।
इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता
इस घटनाक्रम ने यह सवाल उठाया है कि क्या अभ्यर्थियों के बीच सरकारी नौकरी के प्रति रुचि कम हो रही है या फिर अन्य कारणों से वे परीक्षा में शामिल नहीं हो सके। अभिभावकों और शिक्षकों को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचा जा सके। यह परीक्षा केवल एक अवसर नहीं है, बल्कि यह युवा पीढ़ी के सपनों और आकांक्षाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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