चौंकाने वाला है इस 3500 साल पुरानी नदी का रहस्य, भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार

Published : Jun 25, 2025, 11:51 AM IST
 wonderful river

सार

Ajab Gajab Rajasthan News : राजस्थान में ASI की खुदाई में 3500 साल पुरानी नदी का पेलियोचैनल मिला, जो शायद ऋग्वेद में वर्णित सरस्वती हो। इस खोज से प्राचीन सभ्यताओं और उनके विकास पर नया प्रकाश पड़ सकता है।

 Rajasthan News : राजस्थान के डीग जिले के बहाज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ऐतिहासिक खुदाई में एक विलुप्त नदी के पेलियोचैनल का पता लगाया है, जो करीब 3500 साल पुरानी बताई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वही नदी हो सकती है जिसका उल्लेख ऋग्वेद में 'सरस्वती' के रूप में किया गया है। यह खुदाई अप्रैल 2024 से मई 2025 के बीच की गई और गांव के 23 मीटर नीचे पाषाणकाल से संबंधित अवशेष मिले हैं। ASI जयपुर सर्किल के पुरातत्वविद् विनय गुप्ता के अनुसार, यह भारत के इतिहास में पहली बार है जब किसी पेलियोचैनल को इतनी वैज्ञानिक प्रमाणिकता के साथ खोजा गया है।

क्या होता है पेलियोचैनल?

 पेलियोचैनल उस नदी के सूखे मार्ग को कहा जाता है, जो सैकड़ों या हजारों वर्ष पहले बहा करती थी, लेकिन अब पूरी तरह विलुप्त हो चुकी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह पेलियोचैनल उस दौर का हो सकता है जब सिंधु घाटी सभ्यता अपने उत्कर्ष पर थी।

कई गांव के लिए यह नदी है जीवनदायिनी 

सभ्यता का पोषण करने वाली नदी ASI की रिपोर्ट के अनुसार, यह नदी बहाज जैसे गांवों को जीवनदायिनी जल उपलब्ध कराती रही होगी और संभवतः बड़ी सरस्वती बेसिन का हिस्सा रही होगी। यह खोज इस संभावना को मजबूत करती है कि उत्तर-पश्चिम भारत में प्राचीन मानव सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे ही हुआ था।

नदी की खुदाई में मिला यह सामान

खुदाई में मिले अन्य साक्ष्य खुदाई के दौरान टीम को मिट्टी के बर्तन, दीवारों में बने गड्ढे, भट्ठियां, और लोहे-तांबे की वस्तुएं भी मिलीं। यह संकेत देते हैं कि इस क्षेत्र में मानव बस्तियां सक्रिय थीं और तकनीकी विकास भी प्रारंभिक रूप में हो चुका था।

संस्कृति मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट

संरक्षण की तैयारी में मंत्रालय ASI ने अपनी रिपोर्ट संस्कृति मंत्रालय को सौंप दी है, जिसके आधार पर यह तय किया जाएगा कि इस स्थल को कैसे संरक्षित और विकसित किया जाए। यदि सब कुछ तय योजना के अनुसार हुआ, तो यह साइट भविष्य में भारत के ऐतिहासिक पर्यटन का अहम केंद्र बन सकती है। यह खोज केवल इतिहास नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता की जड़ों को और गहराई से समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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